जामनगर ज़िला, लालपुर तहसील, भानगोल गांव। इस गांव में 4 मतदान केंद्र थे और 3000 से अधिक मतदाता। किसानों ने फोन पर बताया कि किसी ने वोट नहीं किया है। पिछले एक साल से आस-पास के इलाके में बारिश नहीं हुई है। जिसके कारण मूंगफली उगाने वाले इन किसानों को लाख से लेकर कई लाख तक का घाटा हुआ है। जो छोटे किसान हैं उनके पास खाने तक के पैसे नहीं है। सब इस भरोसे थे कि बीमा की राशि मिलेगी। 9 महीने पहले राज्य सरकार ने इन गांवों में दुष्कारग्रस्त यानी सूखाग्रस्त घोषित किया था। प्रति एकड़ 6000 की मदद भी दी थी मगर वो पैसा काफी नहीं था। घाटा लाख रुपये से अधिक का था।
गांव वालों को पता चला कि पास के गांव में बीमा की राशि 80 प्रतिशत बंट चुकी हैं। भानगोल के किसानों को बीमा की राशि का मात्र 16 प्रतिशत पैसा मिला है। किसी को 5000 तो किसी को 10,000 जबकि मिलना चाहिए एक लाख तो किसी को दो लाख। गांव के लोग लालपुर प्रखंड आफिस कई बार गए। पैसा नहीं मिला।
भानगोल के गांव में दो भाई हैं। एक की ज़मीन भानगोल में है और दूसरे की ज़मीन उस गांव में जहां के लोगों को बीमा की राशि 80 प्रतिशत मिली है। एक भाई को 80 प्रतिशत पैसा मिला है और एक भाई को 16 प्रतिशत। एक लाख पर किसानों ने 6000 का प्रीमियम भरा है। मगर बीमा का पैसा मिला है 5000। प्रीमियम से भी कम। हर जगह बीमा का यही खेल है। बीमा कंपनियां फायदा दिखा रही हैं और किसान घाटे में मरा जा रहा है। लिहाज़ा 3000 से अधिक मतदाताओं ने वोट ही नहीं किया।
फोन पर बात हो रही थी, भाषा की दिक्कत थी मगर जो समझा यहां लिख रहा हूं। किसान ने अंतिम बात कही कि हमारी आवाज़ ऊपर तक जाएगी न सर।