सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ ‘चौकीदार चोर है’ टिप्पणी से जुड़े मामले को बंद करने की याचिका खारिज कर दी, और उन्हें इस टिप्पणी को सर्वोच्च न्यायालय के हवाले से करने के लिए एक आपराधिक अवमानना का नोटिस जारी किया।
अदालत ने राहुल से अगले मंगलवार तक इसपर जवाब देने के लिए कहा कि आखिर उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों नहीं चलनी चाहिए, जिसमें उन्होंने चुनाव के बीच में कहा कि शीर्ष अदालत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ उनके राजनीतिक हमले का समर्थन किया है।
शीर्ष अदालत ने हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने से छूट दे दी।
अदालत 30 अप्रैल को राफेल समीक्षा के साथ इसकी भी सुनवाई करेगी।
इससे एक दिन पहले राहुल ने सर्वोच्च न्यायालय में अपने बयान के लिए खेद प्रकट किया था। इस बयान के खिलाफ भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने सर्वोच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर की थी।
शीर्ष अदालत 10 अप्रैल को राफेल मामले में समीक्षा याचिका की सुनवाई पर सहमति जताई थी और सरकार के इस पक्ष को खारिज कर दिया था कि मीडिया द्वारा देखे गए गोपनीय दस्तावेजों को सूबत के तौर पर नहीं माना जा सकता, जिसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष ने यह विवादास्पद बयान दिया था।
राहुल ने कहा था कि सर्वोच्च न्यायालय ने माना है कि ‘चौकीदार चोर है’। कांग्रेस अध्यक्ष राफेल मामले में प्रधानमंत्री को घेरने के लिए लगातार इस नारे का इस्तेमाल करते हैं।
भाजपा ने इसपर आपत्ति जताई थी और लेखी ने सर्वोच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दाखिल की थी।
याचिका की सुनवाई करते हुए, प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने राहुल की टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि उन्होंने इस बयान के संबंध में गलत तरीके से शीर्ष अदालत का नाम लिया है।
लेखी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि राहुल का शपथपत्र केवल दिखावटी है और उन्होंने इसके लिए कोई माफी नहीं मांगी है।
रोहतगी ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने इस तरह के बयान देने में लापरवाही भरे रवैये का प्रदर्शन किया है।
राहुल की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत से आग्रह किया कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ मामले को बंद कर दिया जाए।
उन्होंने कहा कि लेखी द्वारा चुनाव के बीच में अवमानना याचिका दायर करना राजनीतिक तिकड़म है।
अवमानना याचिका के खिलाफ बहस करते हुए सिंघवी ने कहा कि अदालत द्वारा मामले में कोई औपचारिक नोटिस जारी नहीं किया गया, जिसपर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘तो क्या हम नोटिस जारी करें।’
न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, ‘जब आप कहते हैं कि राहुल गांधी के खिलाफ कोई औपचारिक नोटिस जारी नहीं किया गया, हम इसका समाधान नोटिस जारी करके कर सकते हैं। आप कह रहे हैं कि हम नोटिस जारी करना भूल गए..हम नोटिस जारी करेंगे।’
अदालत ने इसके बाद मामले को बंद करने की याचिका खारिज कर दी और राहुल के खिलाफ आपराधिक अवमानना का नोटिस जारी कर दिया।
लेखी ने भी उनके अवमानना याचिका के खिलाफ राहुल के शपथपत्र पर जवाब दाखिल करने के लिए समय की मांग की।