स्वास्थ्य विभाग के बाद अब पशुपालन विभाग में दवा खरीदी में गड़बड़ी का मामला फूटा है। पहले मल्टी विटामिन की खरीदी में गड़बड़ी उजागर हुई। दवाएं जांच में फेल हो गईं। इसके बाद पैरासिटामोल समेत ओआरएस पावडर तक अमानक पाया गया। अब पशुपालन विभाग में 15.83 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है। इसकी लिखित शिकायत दस्तावेजों के साथ दो सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मुख्य सचिव, रायपुर पुलिस अधीक्षक से कर जांच की मांग की है।
दस्तावेजों के मुताबिक साल 2016-17 में पशुओं के इलाज एवं पालन के लिए संचालनालय पशु पालन विभाग द्वारा सीजीएमएससी को अधिकृत किया गया। दवाएं, वैक्सीन, फीड सप्लीमेंट्स निर्माता कंपनियों के नाम एवं रेट लिस्ट अनुमोदित कर संचालनालय ने पशु पालन विभाग को भेज दिया। अनुमोदित सूची में खरीदी की नियम-शर्तें थीं। जैसे- दवाइयां क्रयादेश सीधे अनुमोदित कंपनियों को ही जाए। भुगतान भी सीधे कंपनियों को किया जाए। किसी दूसरे फर्म/कंपनी को कुछ भी क्रयादेश या भुगतान नहीं किया जाएगा। कंपनियों को पांच फीसद सुरक्षा निधि जमा करना होगा। क्रयादेश के अनुसार दवाइयाों की आपूर्ति का एग्रीमेंट होगा। दवाइयों का लैबोरेट्री टेस्ट होगा। गड़बड़ी यहीं से शुरू हुई। पुलिस अधीक्षक को सौंपे पत्र में उल्लेख है कि विभाग के जिला पदाधिकारियों द्वारा अनुमोदित कुछ ही कंपनियों से दवाएं खरीदी गईं। 3.61 करोड़ का क्रयादेश दिया गया। शेष करीब 11 करोड़ की दवा अनाधिकृत कंपनियों से नियम विरुद्ध खरीदी गई। कंपनियों को भुगतान भी जारी कर दिया गया। शिकायतकर्ता डॉ. राकेश गुप्ता, केएन शर्मा का कहना है कि निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। इन्होंने इएसआइसी में भी दवा खरीदी में गड़बड़ी की शिकायत की है।
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9 अप्रैल को इन दो कंपनियों की किया गया ब्लैक लिस्टेड-
– मेसर्स क्वालिटी फॉर्मा पंजाब द्वारा सप्लाई की गई। मल्टीविटामिन एनएफआइ फॉर्मूला टैबलेट के 23 बैच फेल हुए हैं।
– मेसर्स बोकेम हेल्थकेयर प्रा. लि. उज्जैन को पैरासिटामोल टैबलेट, डिक्लोफेनेक टैबलेट, ओआरएस पाउडर, रेनीटिडिन टैबलेट फेल हुई है।