इलेक्टोरल बॉन्ड (चुनावी बॉन्ड) को लेकर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड की डिटेल शेयर करने का आदेश दिया. कोर्ट ने इसके लिए सभी दलों को 30 मई तक का वक्त दिया है. पहले केंद्र ने इस मामले में आम चुनाव तक हस्तक्षेप नहीं करने की अपील की थी. जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा था कि अगर पारदर्शी राजनीतिक चंदा के लिए शुरू किए गए चुनावी बॉन्ड के खरीददारों की पहचान नहीं है, तो चुनावों में कालाधन पर अंकुश लगाने का सरकार का प्रयास ‘निरर्थक’ होगा.
बता दें कि केंद्र सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड की वकालत की है. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल सुप्रीम कोर्ट में बताया कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान चुनावी बॉन्ड के मुद्दे पर कोर्ट आदेश न पारित करे. केंद्र ने आग्रह किया कि कोर्ट को इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए. चुनाव प्रक्रिया के पूरा होने के बाद इस मुद्दे पर फैसला लेना चाहिए.
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने ये भी कहा कि चुनावी बॉन्ड राजनीतिक दान के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ा कदम है. उनका कहना है कि चुनावी बॉन्ड से पहले, अधिकांश दान कैश के जरिए किए गए थे, जिससे बेहिसाब धन चुनाव में डाले गए थे.