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कार में सुन रहे थे ‘एक डोली उठी, फिर हो गया दर्दनाक हादसा

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ग्वालियर। गिर्राज जी की परिक्रमा के बाद वृंदावन घूमते हुए अशोकनगर लौट रहे दीपक व उनके दोस्त और परिवार के लोग काफी थके हुए थे। चालक रविन्द्र भी बेहद थका हुआ था। सोमवार सुबह जल्दी पहुंचने के चक्कर में रात को नहीं ठहरे। आगरा से निकलने के बाद चालक को नींद आना शुरू हुई। मुरैना आते-आते गाड़ी में सवार सभी लोग गहरी नींद में चले गए। चालक के पास की सीट पर बैठे दीपक की गोद में उसकी 3 साल की बेटी सिद्घि बैठी जाग रही थी। अपने मिजाज से बतूनी सिद्धि लगातार कार चालक से बातें करते जा रही थी। कभी म्युजिक सिस्टम तो कभी एसी के बटन के बारे में पूछ रही थी। बच्ची से बातचीत में व्यस्त होने पर चालक की नींद गायब हो गई थी। पर ग्वालियर निकलने के बाद दीपक की गोद में ही सिद्धि सो गई।

बच्ची के सोने के बाद मोहना पहुंचते-पहुंचते चालक रविन्द्र की कई बार झपकी लगी और नतीजा यह हादसा हो गया। जिस समय हादसा हुआ उस समय कार में एक लोकगीत ‘एक डोली उठी एक अर्थी चली’ बज रहा था। चालक ने इस गीत को शुभ नहीं मानते हुए मना भी किया, लेकिन गाड़ी में सवार सभी लोगों की डिमांड पर यही गाना बजाना पड़ रहा था।

डीजल बचाने दांव पर लगा दी लोगों की जान

आगरा से निकलने के बाद पूरा परिवार गाड़ी में सो गया था। करीब 2.30 बजे मुरैना में एक ढाबे पर ठहरकर परिवार के सदस्यों ने चाय पी। यहां 10 से 15 मिनट आराम किया। यहां दीपक ने चालक रविन्द्र से आराम कर विपुल को गाड़ी चलाने की बात कही। जाते समय भी आधे रास्ते तक विपुल ने गाड़ी चलाई थी। रविन्द्र का कहना था कि विपुल के चलाने पर एवरेज कम निकल रहा है, इसलिए वह खुद ही चलाएगा। जबकि बार-बार उसे झपकी आ रही थी। इसी जिद के चलते यह हादसा हुआ, जिसमें 4 की मौत, 9 लोग घायल हुए हैं।

मेरी आंख खुली तो चालक खून से सना खिड़की का कांच बजा रहा था

हादसे में घायल 15 साल के चंदू ने बताया कि वह टवेरा में सबसे पीछे सीट पर बैठा था। उसकी गोद में सोनू का डेढ़ साल का बेटा निष्कर्ष भी था। वह गहरी नींद में था। अचानक तेज झटका लगा। आंख खोली तो सामने से कोई ट्रक की लाइट चमक रही थी। चालक रविन्द्र खून से सना दरवाजा ठोक रहा था। इस पर मैंने दरवाजा खोला तो हम बाहर निकले तब पता लगा कि कोई ट्रक कट मार गया है। इसके बाद हमने और अरविंद भाई साहब ने सभी को बाहर निकाला। लोगों से मदद मांगकर एम्बुलेंस बुलाई।

तीन बार से जा रहे थे परिक्रमा लगाने

मृतक दीपक के भाई शुभम ने बताया कि दीपक तीन साल से लगातार गिर्राजजी परिक्रमा लगाने जा रहे थे। उन्होंने सिद्धि के जन्म के बाद बेटे की मन्नत मांगी थी। डेढ़ साल पहले बेटे का जन्म हुआ था। इस साल उन्होंने जब मथुरा-वृंदावन जाने की योजना बनाई तो उनके स्टूडियो के सभी साथी अरविंद, विपुल, सोनू भी अपने परिवार के साथ चलने के लिए तैयार हुए। जिस पर कार बुक कर दो दिन पहले मथुरा के लिए रवाना हुए थे।

सिद्धि, सिद्धार्थ कहा हैं उन्हें दूध पिला देना

हादसे में घायल पिंकी ट्रॉमा सेंटर में भर्ती है उसे यह नहीं बताया है कि उसके दोनों बच्चे और पति अब इस दुनिया में नहीं रहे। परिवार के लोग उसके सामने ऐसा व्यवहार कर रहे थे, जैसे दीपक और बच्चे सुरक्षित हैं। पिंकी भी बार-बार सिद्धि और सिद्धार्थ को दूध पिलाने और बिस्किट खिलाने के लिए कहती रही।

डॉक्टरों की लापरवाही में गई सिद्धार्थ की जान

दीपक के भाई शुभम का कहना था कि जिस समय घायल सिद्घार्थ (डेढ़ साल) को अस्पताल लेकर आए थे उसकी सांस चल रही थी। काफी देर तक वह स्ट्रेचर पर पड़ा रहा, जबकि डॉक्टर अन्य घायलों को देखते रहे। बीच में उसकी सांस थम गई। उसे जल्द ऑक्सीजन लगा देते तो शायद मासूम की जान बच जाती।

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