पाकिस्तान के कराची में तीन जगहों पर ऐसे चेतावनी बोर्ड लगे हैं, जिन पर लिखा है कि ये संपत्तियां भारत सरकार की हैं. इसमें अनाधिकार घुसने या अतिक्रमण करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी. ये संपत्तियां पिछले 25 सालों से बदहाल स्थिति में है. कुछ समय पहले कराची की एक जानी मानी जर्नलिस्ट सनम महर ने अंग्रेजी मैगजीन कारवां में एक लेख लिखा. जिसमें इस बात का विस्तार से वर्णन किया कि किस तरह कराची में भारत सरकार की कई आलीशान संपत्तियां बर्बाद हो रही हैं.
लेख के अनुसार, भारत सरकार ने ये संपत्तियां पाकिस्तान सरकार की अनुमति से 1950 के दशक में व्यक्तिगत लोगों से खरीदीं थीं. शिवाली कोर्ट का लंबा चौड़ा परिसर एक जमाने में कराची में भारतीय वाणिज्य दूतावास था और 63, क्लिफटन महावाणिज्यदूत का आवास. पंचशील कोर्ट एक खूबसूरत अपार्टमेंट है, ये बिल्डिंग एकदम अलग तरह की ही है. ये अपने जमाने की बेहद खूबसूरत और विशिष्ट शैली वाली इमारत रही होगी. ये अपार्टमेंट भी करीब ढाई दशकों से बंद है. यहां वाणिज्य दूतावास के कर्मचारियों के लिए घर थे.
ये इंडिया लॉज है, जहां भारतीय वाणिज्य दूत रहते थे. ये भी बंद है. गेट पर हमेशा ताला पड़ा रहता है. ऐसा ही हाल हिन्दुस्तान कोर्ट और इंडिया हाउस का भी है. फिलहाल ये बिल्डिंग बंद पड़ी हैं और इन्हें देखने वाला कोई नहीं.
चूंकि कराची पाकिस्तान का सबसे बड़ा व्यापारिक शहर है, लिहाजा दोनों देशों के आपसी व्यापार संबंधी मसलों को देखने के साथ ही वाणिज्य दूतावास बड़े पैमाने पर लोगों को भारत आने के लिए वीसा प्रदान करता था. चूंकि ये बड़ा कार्यालय था, लिहाजा यहां काफी बड़ी तादाद में भारतीय कर्मचारी भी रहते थे.
वो बिल्डिंग, जिसमें भारतीय वाणिज्य दूतावास के कर्मचारी रहते थे. अब यहां बाहर के गेट में ताला बंद है. खिड़कियां और दीवारें टूट रही हैं. इसी बिल्डिंग में नीचे कुछ दुकानें भी हैं. इनकी आधिकारिक स्थिति शायद विवादों में है.
ये भारतीय वाणिज्य दूतावास का गेट पर बना हुआ सिंबल है, एक जमाने में इस गेट के खुलने के इंतजार में बाहर रोज एक हजार के आसपास पाकिस्तानी इंतजार करते थे ताकि वो भारत जाने के लिए वीसा या अन्य औपचारिकताएं पूरी कर सकें. दिसंबर 1994 में पाकिस्तान सरकार ने भारतीय कौंसुलेट के कर्मचारियों को देश से निकल जाने और आफिस बंद कर देने का फरमान सुना दिया. तब से इस बिल्डिंग का काला गेट बंद है. इस पर ताला पड़ा है.
1990 के मध्य में जब मुहाजिर कौमी मुवमेंट की गतिविधियां यहां फैलीं तो यहां बड़े पैमाने पर हिंसा होने लगी. तब पाकिस्तान सरकार ने भारत पर इसे भडक़ाने का आरोप लगाया. ये ऐसा समय था जब इस शहर में हजारों लोग मार दिए गए या गायब हो गए. उस समय पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो थीं. मैक्नील रोड स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास को उन्होंने साजिशों का गढ़ बताते हुए बंद करा दिया.
बाद में भारत सरकार की कुछ संपत्तियों पर कब्जे की कोशिश हुई. इसे किसी माफिया ने किसी और को बेच भी दिया. ये जानकारी जब भारत सरकार को हुई तो वो हरकत में आई. पुलिस ने तुरत फुरत कार्रवाई करते हुए इन्हें खाली करा लिया. वाणिज्य दूतावास की फर्जी खरीदी का मामला तो कराची हाईकोर्ट पहुंचा. पाकिस्तान के सिंध प्रांत की सरकार को आगे आकर कोर्ट में कहना पड़ा था कि खरीदी से संबंधित ये सारे कागजात फर्जी हैं. ये संपत्ति अब भी भारत सरकार के ही पास है. इसकी बिक्री की बात झूठी है.
अब इन भवनों की सुरक्षा का काम प्राइवेट पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियां करती हैं. इन सुरक्षा एजेंसी के लोग इसी परिसर में रहते हैं. इनके ज्यादातर हिस्से पूरी तरह बंद रहते हैं.