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कांग्रेस ने गौरव गोगोई को सौंपी असम इकाई की कमान, चुनाव से पहले बड़ा बदलाव!

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गुवाहाटी/नईदिल्ली – कांग्रेस ने सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए जोरहाट से लोकसभा सांसद और लोकसभा में पार्टी के उपनेता गौरव गोगोई को असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (APCC) का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है. पार्टी का यह निर्णय राज्य इकाई में बड़ा बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है.

गौरव गोगोई को असम इकाई का नए अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त किए जाने से संकेत मिलता है कि पार्टी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में युवा नेता के नेतृत्व में आक्रामक तरीके से चुनाव लड़ेगी. इससे पहले भूपेन कुमार बोरा असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा रहे थे.

पिछले कुछ महीनों से अपनी ब्रिटिश मूल की पत्नी के कथित पाकिस्तानी संबंधों को लेकर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हमलों का सामना कर रहे गोगोई ने यह नई जिम्मेदारी मिलने के बाद पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का आभार जताया और कहा कि वह आने वाले दिनों में राज्य की जनता का आशीर्वाद मांगेंगे.

पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने गोगोई को असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त करने के साथ ही तीन नेताओं को कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है.

असम विधानसभा के सदस्य जाकिर हुसैन सिकदर, पूर्व विधायक रोजलीना टिर्की और प्रदीप सरकार को पार्टी की असम इकाई का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है. कांग्रेस नेतृत्व ने 42 वर्षीय गोगोई के साथ कार्यकारी अध्यक्ष का उत्तरदायित्व भी तीन युवा नेताओं को सौंपा है. सिकदर 44, रोजलीना 43 और सरकार 42 वर्ष के हैं.

कांग्रेस पूर्वोत्तर राज्य में 9 साल से विपक्ष में है और मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के खिलाफ पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर गौरव को आगे कर सकती है.

गौरव पिछले कुछ समय से मुख्यमंत्री की आलोचनाओं का शिकार हो रहे थे, क्योंकि पार्टी में अटकलें लगाई जा रही थीं कि उन्हें 2026 के चुनाव से पहले असम कांग्रेस की कमान संभालने के लिए कहा जा सकता है.

कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक गौरव गोगोई को आगे करके पार्टी उनके पिता और तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके तरुण गोगोई की विरासत को याद करेगी, जिन्होंने संघर्षग्रस्त राज्य में शांति और विकास लाया.

कांग्रेस यह भी बताएगी कि कैसे तरुण गोगोई सरकार में मंत्री रहे सरमा ने 2015 में पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था. बाद में वे अपने साथ कई कांग्रेस विधायकों को भी ले गए.

2016 में सरमा ने बीजेपी को पहली बार राज्य में सत्ता में आने में मदद की, लेकिन मुख्यमंत्री बनने से चूक गए. हालांकि, सरमा ने 2021 में फिर से भाजपा की जीत सुनिश्चित की और उन्हें मुख्यमंत्री पद से पुरस्कृत किया गया. कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि सरमा इस क्षेत्र में भाजपा को किसी भी तरह से धकेलने के लिए भी जिम्मेदार थे.