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‘सिंदूर मिटाने वालों से बदला ले लिया गया’, सीजफायर के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का पहला बयान, जानें और क्या कहा

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नई दिल्ली – भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहा तनाव कम होता नजर आ रहा है। दोनों देशों के बीच शनिवार को सीजफायर का ऐलान हो गया था। ऐसे में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का सीजफायर के बाद पहला बयान सामन आया है। उन्होंने कहा, ‘पहलगाम का बदला ले लिया गया। सिंदूर मिटाने वालों से बदला ले लिया गया। आतंकियों को मार गिराया गया।

पाकिस्तानी आर्मी के मुख्यालय तक भारत की धमक

राजनाथ ने कहा, ‘पाकिस्तानी आर्मी के मुख्यालय तक भारत की धमक है। हमने रावलपिंडी तक धमाका किया है। पाकिस्तान के अंदर आतंकी अड्डे उड़ाए हैं। पाकिस्तान के अंदर घुसकर मल्टीपल स्ट्राइक किए। जिस परिस्थिति से हम गुजर रहे हैं इसलिए मैं लखनऊ नहीं आ पाया।’ बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लखनऊ में ब्रह्मोस इंटीग्रेशन एवं टेस्टिंग फैसिलिटी सेंटर का उद्घाटन किया है।

राजनाथ ने कहा, ‘आज का दिन बहुत खास है। आज ही 1998 में पोखरण में भारत ने अपनी ताकत दिखाई थी। चालीस महीने में ये प्रोजेक्ट पूरा हुआ। आजकल जो परिस्थितियां हैं, उसमें समयबद्ध काम की जरूरत है। जिन आतंकियों ने आतंकी हमला करके हमारी बहनों का सिंदूर मिटाया, उसका जवाब ऑपरेशन सिंदूर ने दिया।

हमने उनके नागरिकों को कभी निशाना नहीं बनाया

राजनाथ ने कहा, ‘हमने उनके नागरिकों को कभी निशाना नहीं बनाया। भारत में आतंकी घटनाओं का क्या अंजाम होता है, ये पूरी दुनिया देख रही है। ये आतंकवाद के खिलाफ नया भारत है। सरहद के इस पार और उस पार कड़ी कार्रवाई होगी, ये पीएम मोदी ने बता दिया है। जो भी भारत में आतंकी घटनाओं को अंजाम देगा, सरहद पार की जमीन भी उसे बचा नहीं पाएगी। पूरी दुनिया ने देखा कि भारत आतंकवाद को चोट किस तरह से पहुंचाता है।’

ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च करने के उद्देश्य के बारे में बताया

राजनाथ ने कहा, ‘भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ढांचा ढहाने के उद्देश्य से ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया था। हमने उनके आम नागरिकों को कभी निशाना नहीं बनाया, लेकिन पाकिस्तान ने न केवल भारतीय नागरिकों को निशाना बनाया बल्कि मंदिर, गिरजाघर, गुरुद्वारे में हमले का प्रयास किया। भारतीय सेना ने शौर्य और पराक्रम के साथ संयम का परिचय दिया। हमने ना सिर्फ सीमा पर बने सैन्य ठिकानों पर कार्रवाई की बल्कि भारत की सेना की धमक उस रावलपिंडी तक चली गई, जहां पाकिस्तानी फौज का हेडक्वार्टर है।’