श्रीनगर – जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को सिंधु जल संधि को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि यह संधि जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए ‘सबसे अनुचित दस्तावेज’ है और वे कभी भी इसके पक्ष में नहीं रहे हैं। यह बयान पहलगाम हमले के बाद केंद्र सरकार द्वारा पाकिस्तान के साथ इस संधि को स्थगित करने के फैसले के संदर्भ में आया है। श्रीनगर में विभिन्न पर्यटन, व्यापार और उद्योग निकायों के साथ बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में अब्दुल्ला ने कहा, ‘ईमानदारी से कहें तो हम कभी भी सिंधु जल संधि के पक्ष में नहीं रहे।’
‘फैसले का असर देखने के लिए इंतजार करना होगा’
अब्दुल्ला ने आगे कहा, ‘जम्मू-कश्मीर का हमेशा से मानना रहा है कि यह संधि उसके लोगों के लिए सबसे अनुचित रही है।’ उन्होंने यह भी कहा कि इस फैसले के दीर्घकालिक निहितार्थ क्या होंगे, यह देखने के लिए इंतजार करना होगा। बता दें कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी। इसके जवाब में भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों में कटौती की और कई कड़े कदम उठाए, जिनमें 1960 की सिंधु जल संधि को स्थगित करना, पाकिस्तानी सैन्य सलाहकार को निष्कासित करना और अटारी-वाघा सीमा पारगमन चौकी को तत्काल बंद करना शामिल है।
आदिल हुसैन शाह की यादों को हमेशा जिंदा रखें’
अब्दुल्ला ने पहलगाम हमले में आतंकवादियों के खिलाफ बहादुरी से डटकर मुकाबला करने वाले टट्टूवाले सैयद आदिल हुसैन शाह की सराहना की, जिनकी इस दौरान मृत्यु हो गई थी। उन्होंने कहा, ‘वह न केवल कश्मीरियत, बल्कि कश्मीरी मेहमाननवाजी के प्रतीक हैं। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम न केवल उन्हें और उनके परिवार को पुरस्कृत करें, बल्कि उनकी यादों को हमेशा जिंदा रखें।’ अब्दुल्ला के इस बयान ने सिंधु जल संधि को लेकर जम्मू-कश्मीर की लंबे समय से चली आ रही नाराजगी को फिर से उजागर किया है।