Home देश यशवंत वर्मा ‘कैशकांड’ – बोरियों में भरे मिले नोट; कहां से आया...

यशवंत वर्मा ‘कैशकांड’ – बोरियों में भरे मिले नोट; कहां से आया खजाना; देखिए ‘जज साहब’ के घर के अंदर का …

29
0

 दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा ‘कैशकांड’ में बड़ा अपडेट है। सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार (22 मार्च) देर रात 25 पन्नों की रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी। रिपोर्ट के साथ फोटो और वीडियो भी सार्वजनिक किए हैं।

नई दिल्ली – दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। घर में नोटों के भंडार की तस्वीरें सार्वजनिक हो गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार (22 मार्च) की देर रात 25 पन्नों की पूरी रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी। तस्वीरों में 500 रुपए के जले नोटों के बंडल साफ दिख रहे हैं। आग पर काबू पाने के बाद 4-5 अधजली बोरियां मिलीं। बोरियों के अंदर नोट भरे थे। यशवंत वर्मा के घर इतना कैश कहां से आया? पता लगाने के लिए कमेटी गठित कर दी है। जांच के बाद ‘कैशकांड’ केस में बड़ा खुलासा होगा।

जानिए पूरा मामला
दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय ने इंटरनल इन्क्वायरी के बाद सुप्रीम कोर्ट को 21 मार्च को रिपोर्ट सौंपी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 22 मार्च की देर रात रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी है। रिपोर्ट में दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस, दिल्ली पुलिस कमिश्नर की रिपोर्ट, जस्टिस यशवंत वर्मा का पक्ष और जले हुए कैश की फोटो और वीडियो शामिल है। सीजेआई ने दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को निर्देश दिया है कि जब तक जांच पूरी न हो जाए, जस्टिस वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपें।

पर्सनल कॉल डिटेल भी निकाली जाएगी 
SC ने  रिपोर्ट के साथ तीन तस्वीरें भी सार्वजनिक की हैं। तस्वीरों में 500 रुपए के जले हुए नोटों के बंडल दिख रहे हैं। आग पर काबू पाने के बाद 4-5 अधजली बोरियां मिलीं, उनके अंदर नोट भरे हुए थे। देश के इतिहास में पहली बार किसी जज को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी रिपोर्ट जारी की है। सीजेआई ने शनिवार रात ही इन-हाउस जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी गठित कर दी। CJI ने आदेश दिया है कि जस्टिस वर्मा के घर सिक्यारिटी ऑफिसर्स और गार्ड की डिटेल्स भी दी जाए। वर्मा के अफिशियल और पर्सनल कॉल डिटेल भी निकाली जाए।

सीजेआई का निर्देश-
सीजेआई संजीव खन्ना ने दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को जस्टिस वर्मा से स्पष्टीकरण लेने को कहा है। सीजेआई ने चीफ जस्टिस से कहा कि जस्टिस वर्मा से पूछें-उनके कमरे में मिले पैसे किसके हैं? इनका स्रोत क्या है? 15 मार्च सुबह कमरे से जला पैसा किसने साफ किया ? • सीजेआई ने हाई कोर्ट रजिस्ट्री में शामिल जस्टिस वर्मा के स्टाफ, उनके निजी सुरक्षा अधिकारी, सुरक्षा गार्ड की 6 महीने की फोन कॉल, मैसेज रिकॉर्ड और डेटा रिपोर्ट मांगी है। जस्टिस वर्मा को उनका फोन और डेटा नष्ट नहीं करने को कहा है।

मुझे फंसाया जा रहा
सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्ट में जस्टिस यशवंत वर्मा का पक्ष भी है। वर्मा ने कहा कि जिस स्टोर रूम में नोटों की गड्डियां मिलने की बात की जा रही है। वहां उन्होंने या उनके परिवार ने कभी कोई पैसा नहीं रखा। वो एक ऐसी खुली जगह है जहां हर किसी का आना जाना होता है। उन्हें इस मामले में फंसाया जा रहा है। मैं इस आरोप का दृढ़ता से खंडन करता हूं। अगर ऐसा आरोप लगाया गया है कि हमने स्टोर रूम से मुद्रा निकाली है, तो उसे पूरी तरह से खारिज करता हूं। हमें न तो जली हुई मुद्रा की कोई बोरी दिखाई गई और न ही सौंपी गई।

CJI को भेजी रिपोर्ट में ये जानकारी 
दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय ने सीजेआई को भेजी रिपोर्ट में बताया कि 15 मार्च को वो होली की छुट्टी के चलते लखनऊ में थे। शाम 4:50 बजे दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने फोन पर बताया कि 14 मार्च की रात 11:30 बजे जस्टिस यशवंत वर्मा के बंगले में आग लग गई थी। फोन जस्टिस वर्मा के निजी सचिव ने किया था। सचिव को आग लगने की जानकारी आवास पर कार्यरत नौकर ने दी थी।

कमरे में ताला नहीं
रिपोर्ट में बताया-जिस कमरे में आग लगी वह गार्ड रूम के बगल में है। स्टोर रूम बंद रहता था। चीफ जस्टिस ने अपने रजिस्टार को मौके पर भेजा। रजिस्टार ने बताया कि जिस कमरे में आग लगी वहां ताला नहीं था। 16 मार्च की शाम चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय दिल्ली पहुंचे। सीजेआई  से मिले और रिपोर्ट दी।

मेरी राय है कि मामले की गहराई से जांच हो 
रिपोर्ट देने के बाद जस्टिस यशवंत वर्मा से संपर्क किया। यशवंत ने 17 मार्च सुबह 8:30 बजे हाई कोर्ट गेस्ट हाउस में अपना पक्ष रखा और षड़यंत्र की आशंका जताई। डीके उपाध्याय की जांच के मुताबिक, प्रथम दृष्टया जिस कमरे में आग लगी वहां किसी बाहरी का प्रवेश संभव नहीं दिखता। केवल वहां रहने वाले व्यक्ति, नौकर, और सीपीडब्ल्यूडी कर्मी ही जा सकते थे। इसलिए, मेरी राय है कि मामले की गहराई से जांच हो।

कौन हैं यशवंत वर्मा
6 जनवरी 1969 को जस्टिस यशवंत वर्मा का जन्म हुआ। यशवंत ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज से बीकॉम (ऑनर्स) किया। 1992 में रीवा यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई पूरी की। 8 अगस्त 1992 को यशवंत ने बतौर वकील पंजीकरण कराया। इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत शुरू कर दी।
2006 से हाई कोर्ट के विशेष वकील रहे। 2012 में उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता बने।

2014 में बने एडिशनल जज 
अगस्त 2013 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में सीनियर वकील बने। 13 अक्टूबर 2014 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में एडिशनल जज बने। 1 फरवरी 2016 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में परमानेंट जज बने। 11 अक्टूबर 2021 को उनका तबादला दिल्ली हाई कोर्ट में कर दिया। अब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 20 मार्च 2025 को उनके दोबारा इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरण की सिफारिश की है।