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संगम हमारी एकता, प्रेम, त्याग, तपस्या व संकल्पों का प्रतीक, इसे संजोकर रखें; बोले अविमुक्तेश्वरानंद

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ज्योतिष्पीठाधीश्वर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि मौनी अमावस्या पर हुए हादसे से बिल्कुल बचा जा सकता था। जब पहले से पता था कि हमारे पास इतनी ही जगह है तो पहले से समुचित व्यवस्था क्यों नहीं बनाई गई। यह कहना कि पहले भी भगदड़ होती थी और अब भी हो गई, यह अनुचित है।

संगम की रेती पर अदृश्य सरस्वती के रूप में धर्माचार्य ज्ञान की सरस्वती का पान विश्व समुदाय को करा रहे हैं। संतों के बीच ज्योतिष्पीठाधीश्वर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने महाकुंभ में अनेक मुद्दों पर अपनी बेबाक राय से सुर्खियां बटोरीं। उन्होंने परमधर्म संसद के जरिए कई मुद्दों पर महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए। इन पर कितना अमल होगा, यह तो आने वाला वक्त बताएगा।

कुंभ है क्या, भारतीय संस्कृति में कुंभ को किस रूप में व्यक्त करेंगे?
असल में कुंभ कलश को कहा जाता है। कुंभ पूर्णता का प्रतीक है। कुंभ दो तरह के होते हैं। एक खाली और एक भरा। हम सब खाली हैं। इसलिए कि हमारे हृदय रूपी कुंभ में बहुत इच्छाएं हैं। जब हमारे भीतर पूर्णता आ जाएगी, तब हमको कुछ नहीं चाहिए। संगम पर लगा कुंभ अनंत तत्वों से भरा है। इसमें डुबकी लगाने से आध्यात्मिकता समाहित हो जाती है।

कहा जा रहा है कि संगम के तट पर 144 साल बाद दुर्लभ संयोग में विश्व का सबसे बड़ा सांस्कृतिक आयोजन हो रहा है, इस पर आपकी राय क्या है?
इस तरह की घोषणाएं उचित नहीं है। महाकुंभ 12 साल के बाद आता है। कई बार 11 वर्ष पर भी कुंभ लगता है। अधिकारिक रूप से जब इस बात को कहा जाने लगा कि 144 साल बाद कुंभ लगा है, तब मैंने मेला प्रशासन को मौखिक और लिखित बताया था कि कुंभ को संख्या से मत जोड़िए। इसलिए कि कुंभ तिथि और ग्रहों के संयोग से लगता है। असल में प्रयाग का गजेटियर देखेंगे तो पिछला कुंभ कब लगा था, पता चल जाएगा। कुंभ माघ के महीने में तिथियों से होता है। इसमें अंग्रेजी की तारीख लगाना न्यायसंगत नहीं है।

आप हमेशा नए प्रयोग करते रहे हैं, इस कुंभ में भी कोई प्रयोग है?

हमने कई प्रयोग किए हैं। परमधर्म संसद लगाई। अनेक विषयों पर धर्मादेश पारित हुए हैं। उसे प्रकाशित करके हर सनातनी के घर भेजेंगे। यही महाकुंभ का संदेश होगा। पुराने समय से नियम रहा है कि जब धर्मात्मा यहां जुटते थे, तब 12 वर्षों की नीति की घोषणा करते थे। हमने इस बार कुंभ पर्व संदेश तैयार किया है। हम शंकराचार्य धर्मदूत के माध्यम से इसे जन-जन तक ले जाएंगे।

आपने गोरक्षा यज्ञ के जरिये संदेश दिया, विश्व समुदाय को क्या संदेश देना चाहेंगे?

देखिए अपना संदेश है कि बंटो मत, इकट्ठा रहो। लेकिन इकट्ठा होंगे कैसे। इकट्ठा रहने के लिए बहाना भी तो होना चाहिए। कोई गुलदस्ता ही नहीं है हमारे पास, जिसमें सारे लोग एक हो सकें। हमने देखा कि सनातन धर्म में हमारी गो माता हैं। भारत माता के बारे में चर्चा की जाती है, लेकिन उनकी उपासना पद्धति नहीं मिलती। गो माता हर हिंदू की माता है। विश्व समुदाय के लोग गो माता की रक्षा के लिए आगे आएं। गाय को विश्व माता के रूप में निरुपित करना चाहिए। यह हो गया तो बादलों की तरह मंडराते संकट दूर हो जाएंगे और दुनिया में खुशहाली आएगी।
संगम की महिमा और शक्ति को किस रूप में देखते हैं?
संगम पर दो धाराएं आपस में मिलती हैं। दो नदियों का पुण्य प्रवाह सबको जोड़ता है। प्रयाग वह क्षेत्र है, जहां गंगा-यमुना का संगम है। यही संगम हमारी एकता, प्रेम, त्याग, तपस्या और संकल्पों का प्रतीक है। इस भूमि की प्रशंसा वेदों, शास्त्रों ने भी की है।
आप सनातन बोर्ड के गठन के पक्ष में हैं या वक्फ बोर्ड भंग करने के?
वक्फ बोर्ड से हमारा कोई लेना-देना नहीं है। जो वक्फ बोर्ड बनाए हों वह जानें कि इस पर उनकी क्या दृष्टि। सनातन बोर्ड पर भी मेरा कहना है कि वक्फ बोर्ड है इसलिए सनातन बोर्ड बने, हम इस पक्ष में भी नहीं है। रही बात अगर हमारे धर्म संस्थानों के संचालन के लिए एक केंद्रीयकृत नीति बनाने की जरूरत है तो हमें उस पर काम करना चाहिए। कोई सरकार फिर आएगी, वह सनातन बोर्ड में भी संशोधन करने लगेगी। इस मामले को बिना समझे कुछ नहीं करना चाहिए। हमने सनातन संरक्षण परिषद का गठन किया है। धर्माचार्य ही सनातन के संरक्षण के लिए नीति बनाएं।
महाकुंभ हादसे के लिए आप किसको जिम्मेदार मानते हैं, क्या इस तरह की घटना से बचा जा सकता था?  
मौनी अमावस्या पर हुए हादसे से बिल्कुल बचा जा सकता था। जब पहले से पता था कि हमारे पास इतनी ही जगह है तो पहले से समुचित व्यवस्था क्यों नहीं बनाई गई। यह कहना कि पहले भी भगदड़ होती थी और अब भी हो गई, यह अनुचित है। एक जिम्मेदार व्यक्ति द्वारा यह कहना कि संगम पर कोई हादसा हुआ ही नहीं, अफवाहों पर ध्यान न दें। मेरा मानना है कि हमारी व्यवस्था में कहीं न कहीं चूक हो गई। इसकी समीक्षा की जानी चाहिए। जांच कमेटी के नाम पर इस घटना को लंबित रखना भी गलत होगा।