यह त्यौहार एक खगोलीय संयोग के दौरान मनाया जाता है जो हर 12 साल में चार नदियों के तट पर बारी-बारी से होता है – हरिद्वार में गंगा, प्रयागराज में गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती का संगम, उज्जैन में शिप्रा और नासिक में गोदावरी। 12 साल की अवधि के दौरान छोटे-छोटे उत्सव भी मनाए जाते हैं। कुंभ के त्योहार का उल्लेख वैदिक ग्रंथों, सूत्र साहित्य, महाकाव्य-पौराणिक ग्रंथों, स्मृतियों , धर्मशास्त्रों या अन्य किसी भी संग्रह में नहीं है। ऐसा माना जाता है कि कुंभ मेला उन स्थानों पर होता है जहां सुरों (देवताओं) और असुरों (राक्षसों) द्वारा समुद्र मंथन के दौरान अमृत की बूंदें गिरी थीं।