लोरमी – उप मुख्यमंत्री अरुण साव के विधानसभा इलाके मुंगेली जिले में बाघिन शावक की मौत का मामला सामने आया है. अचानकमार टाइगर रिजर्व (ATR) में एक मादा शावक मृत पाया गया. जिसकी उम्र करीब 4 साल बताई जा रही है. वहीं वन विभाग ने बताया है कि इस बाघिन की मौत बाघों के बीच लड़ाई के कारण हुई है.
जानकारी के अनुसार, वन परिक्षेत्र लमनी के ग्राम चिरहट्टा बिरारपानी के बीच बेंदरा खोंदरा के तरफ ग्रामीण पैदल जा रहे थे. इसी दौरान झाड़ के पास बाघिन शावक को मृत देखा गया. ग्रामीणों ने इसकी सूचना विभाग के अधिकारियों को दी. फिलहाल पोस्टमार्टम के बाद शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के स्पष्ट कारणों का पता चल सकेगा. वहीं वन विभाग के गश्ती दल पर भी सवाल उठना शुरू हो चुका है. क्योंकि अगर वन विभाग के कर्मचारी अपने वन क्षेत्र में नियमित दौरा कर रहे है, तो उन्हें बाघिन शावक की लाश की सड़ने की स्थिति तक सूचना कैसे नहीं मिली.
जंगल के अंदर बाघ की सुरक्षा पर सवाल ?
अचानकमार टाइगर रिजर्व के जंगलों में वन्य प्राणी के सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं. लमनी रेंज के घने जंगल में दो दिन पहले बाघिन के शावक की मौत हुई थी. इधर वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों को यह तक नहीं पता था कि बाघिन के शावक की मौत जंगल में हो गई है. इसकी जानकारी प्रत्यक्षदर्शियों के देने के बाद वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची.
शावक की मौत के कारण पर अधिकारियों की सफाई
ATR के डिप्टी डायरेक्टर यू आर गणेश ने बताया कि आपसी संघर्ष में बाघिन का डेथ हुआ है, डॉक्टरों की टीम ने अपना निष्कर्ष दिया है कि आपसी संघर्ष में बाघिन के शावक की मौत हुआ है, जिसका वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार कर दिया गया है. स्थानीय पेट्रोलिंग गार्ड रेशम बैगा में 23 तारीख को सुबह घटना की सूचना दी. जिसके बाद अधिकारियों को सूचना देने सहित घटना की पुष्टि के बाद 24 तारीख को डॉक्टरों की टीम ने पोस्टमार्टम कर शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया है.
अचानकमार टाईगर रिजर्व के कक्ष क्रमांक 339 आरएफ में अचानकमार टाईगर रिजर्व के पैदल गार्ड टीम ने घटना के एक दिन बाद गुरुवार को सूचित किया कि एक नग बाघिन उक्त कक्ष क्रमांक में मृत अवस्था में मिली. सूचना पर उप संचालक, अचानकमार टाईगर रिजर्व लोरमी एवं संबंधित क्षेत्र के वन अधिकारी की टीम ने क्षेत्र निरीक्षण कर मृत टाइग्रेस का निरीक्षण किया. जहां मौका निरीक्षण के अनुसार प्रथम दृष्टया घटना बाघों के आपसी संघर्ष का प्रतीत हुआ. जिसको लेकर शुक्रवार 24 जनवरी 2025 को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के SOP अंतर्गत वन्यप्राणी चिकित्सक डाॅ. पी.के. चन्दन और मुंगेली जिला के शासकीय पशु चिकित्सकों ने एनटीसीए के प्रतिनिधि, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) रायपुर छ.ग. के प्रतिनिधि के समक्ष पोस्टमार्टम कराया गया और नियमानुसार कार्यवाही की गई.
इस बीच पोस्टमार्टम के दौरान गर्दन पे दांत का निशान, श्वासनली के फटने, फेफड़े की श्रृंकिंग, पूरे शरीर में खरोच का निशान पाया गया. पेनल से प्राप्त निष्कर्ष के आधार पर पाया गया कि उक्त बाघिन की मृत्यु दो बाघों के आपसी संघर्ष के कारण हुआ है.
प्रति वर्ष करोड़ो रुपए खर्च करती है सरकार
ATR में बाघ की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए NTCA के गाइडलाइन अनुसार राज्य और केंद्र सरकार हर साल करोड़ों रुपए खर्च करते हैं ताकि एटीआर टाइगर को सुरक्षा प्रदान किया जा सके. लेकिन इसमें विभाग के अधिकारियों के द्वारा पलीता लगाने का काम किया जा रहा है. वहीं एटीआर के अफसर बाघों की निगरानी करने के लिए बड़े-बड़े दावा करते हैं लेकिन इस टाइगर की मौत से सभी दावे फेल होता नजर आ रहा है. अब सवाल यह उठ रहा है कि इतनी बड़ी राशि कहां खर्च की जा रही है, बावजूद इसके लगातार जंगली जानवरों की मौत हो रही है.