बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को बीते साल कड़े विरोध प्रदर्शन के बाद अपना देश छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी थी. वहीं अब हसीना ने एक ऑडियो टेप के जरिए खुद पर हुए हमले को लेकर अपनी चुप्पी तोड़ी है.
बंगलादेश – बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पिछले साल अगस्त 2024 में उनके सरकारी आवास पर हुए हमले को लेकर पहली बार अपनी चु्प्पी तोड़ी है. हसीना ने एक ऑडियो टेप के जरिए अपना दर्द बयां किया है, जिसमें उन्होंने बताया कि अगर उस दिन वह अपनी बहन रेहाना के साथ 20 मिनट पहले सरकारी आवास से नहीं निकल पातीं तो शायद वह उनका आखिरी दिन होता.
‘उस दिन हमें मार दिया जाता…’
शेख हसीना का यह ऑडियो टेप उनकी पार्टी आवामी लीग की ओर से शेयर किया गया है. पार्टी के फेसबुक पोस्ट पर साझा किए गए इस ऑडियो टेप में वह अपने विरोधियों पर उनकी हत्या की साजिश रचने का आरोप लगा रही हैं. ऑडियो में शेख हसीना कह रही हैं,’ मुझे लगता है कि अगर हम 21 अगस्त को समय पर न निकलते तो उस दिन हमें मार दिया जाता. अल्लाह हमारे साथ था इसलिए आज हम सुरक्षित हैं.’ ऑडियो टेप में हसीना ने साल 2004 में हुए ग्रेनेड हमले का भी जिक्र किया, जिसमें वह घायल हो गई थीं. इसके अलावा उन्होंने साल 2000 की एक घटना को भी याद किया, जिसमें एक कॉलेज में बम पाए गए थे, जहां पर उनका दौरा होना था.
भारत में रह रही हैं शेख हसीना
बता दें कि शेख हसीना अगस्त 2024 से भारत में रह रही हैं. भारत ने कुछ दिनों पहले ही उनकी वीजा अवधि को बढ़ा दिया था. इससे भारत में और अधिक समय तक रहने का उनका रास्ता हो गया है. वहीं हाल ही में यह भी खबर सामने आई थी कि बांग्लादेश ने शेक हसीना के पासपोर्ट को रद्द कर दिया है. यह घटना ऐसे वक्त पर हुई है जब मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री के प्रत्यर्पण की मांग कर रही है.
जानें पूरा मामला
बता दें कि पिछले साल बांग्लादेश में कुछ प्रदर्शनकारी छात्र देशभर में विवादित आरक्षण प्रणाली को खत्म करने की मांग कर रहे थे. इसके तहत साल 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने वाले सेनानियों के परिवारवालों के लिए सरकारी नौकरी पर 30 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान था. आरक्षण के इस मुद्दे ने देशभर में विरोध प्रदर्शन का उग्र रूप ले लिया, जिससे हालात बदतर होते चले गए. ऐसे में पीएम शेख हसीना को अपना देश छोड़कर भागना पड़ा था. हसीना के जाने के बाद बांग्लादेश में नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस की नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार वहां की सत्ता में काबिज है.