रायपुर – छत्तीसगढ़ के सभी नगर निगम, नगर पालिका परिषद् और नगर पंचायतों के अध्यक्ष पदों के लिए आरक्षण प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। आरक्षण की घोषणा के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। कई नेताओं की उम्मीदों को धक्का लगा है, खासकर उन क्षेत्रों में, जहां अध्यक्ष और महापौर पद महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं। ऐसे में अब पुरुष नेता सीमित विकल्पों के कारण अपनी पत्नियों को चुनावी मैदान में उतारने की योजना बनाने लगे हैं।
आरक्षण प्रक्रिया के तहत रायपुर सहित कोरबा और बीरगांव नगर निगमों का महापौर पद सामान्य वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित कर दिया गया है। दुर्ग नगर निगम का पद पिछड़ी जाति महिला और रिसाली का अध्यक्ष पद अनुसूचित जनजाति महिला के लिए आरक्षित किया गया है। इसके अतिरिक्त, 18 नगरपालिका अध्यक्ष पद भी विभिन्न वर्गों की महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं।
इस आरक्षण के बाद कांग्रेस पार्टी के भीतर नई रणनीतियों पर चर्चा हो रही है। रायपुर में महापौर पद महिलाओं के लिए आरक्षित होने के बाद पूर्व विधायक कुलदीप जुनेजा और प्रमोद दुबे जैसे दिग्गज नेताओं के अपनी पत्नियों को चुनावी मैदान में उतारने की खबरें सामने आई थीं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की सख्त प्रतिक्रिया
हालांकि, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज ने इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास महिलाओं की कोई कमी नहीं है। महिला कांग्रेस की सक्रिय कार्यकर्ता पार्टी का मजबूत आधार हैं। उम्मीदवारों के चयन पर उन्होंने स्पष्ट किया कि परिस्थितियों के अनुसार फैसला किया जाएगा।
महापौर और अध्यक्ष पदों के लिए महिलाओं को आरक्षण मिलने से राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल गए हैं। जहां एक ओर यह महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में सकारात्मक कदम है, वहीं दूसरी ओर यह कई नेताओं के लिए चुनौतियां लेकर आया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि विभिन्न राजनीतिक दल महिला उम्मीदवारों को लेकर कैसी रणनीति अपनाते हैं।