इंदौर – इंदौर पुलिस ने एमबीबीएस पाठ्यक्रम के 23 वर्षीय एक विद्यार्थी को साइबर ठगी के करीब आठ लाख रुपये क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर चीनी युवकों के एक गिरोह को भेजने के आरोप में गिरफ्तार किया है. पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) राजेश कुमार त्रिपाठी ने बुधवार को संवाददाताओं को बताया कि फर्जी ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर शहर के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर से 1.35 लाख रुपये की ठगी के मामले में मिले सुरागों के आधार पर गिरफ्तार आरोपी की पहचान विक्रम विश्नोई (23) के रूप में हुई है.
उन्होंने बताया कि मूलत: राजस्थान के जोधपुर का रहने वाला विश्नोई महाराष्ट्र के अलीबाग के शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में एमबीबीएस पाठ्यक्रम के तृतीय वर्ष का छात्र है. डीसीपी ने विश्नोई से पूछताछ के आधार पर कहा कि वह साइबर ठगी के लिए एक गिरोह को कमीशन के आधार पर बैंक खाते मुहैया कराता था और ”टेलीग्राम” ऐप के एक समूह के जरिये पांच चीनी युवकों से भी जुड़ा था.
त्रिपाठी ने बताया, ”हमें पता चला है कि विश्नोई भारतीय बैंक खातों में जमा साइबर ठगी के धन को क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर चीनी गिरोह को भेजता था. हम विस्तृत जांच के जरिये पता कर रहे हैं कि भारत में साइबर ठगी की वारदातों को अंजाम देने में चीनी गिरोह की क्या भूमिका है.” अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त राजेश दंडोतिया ने कहा कि विश्नोई क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज ”बाइनेंस” के एक खाते के माध्यम से साइबर ठगी के धन को क्रिप्टोकरेंसी में बदलता था, फिर क्रिप्टोकरेंसी को क्यूआर कोड के जरिये ”टीएलएक्स” के गुप्त नाम वाले एक चीनी युवक के क्रिप्टो वॉलेट में भेजता था. उन्होंने कहा कि विश्नोई अब तक लगभग आठ लाख रुपये क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर ”टीएलएक्स” के चीनी क्रिप्टो वॉलेट में भेज चुका है.
दंडोतिया ने बताया कि आरोपी, अंग्रेजी और चीनी भाषा में परस्पर अनुवाद की सुविधा वाले एक चैट बोट के जरिये चीनी युवकों से बातचीत करता था. उन्होंने बताया कि साइबर ठगी का धन चीनी गिरोह को भेजने की छानबीन के लिए इंदौर पुलिस की ओर से टेलीग्राम और बाइनेंस को ई-मेल भेजकर जानकारी मांगी गई है.