मायोंग गांव असम की राजधानी गुवाहाटी से 40 किलोमीटर दूर स्थित है. मायोंग गांव को काले जादू का गढ़ कहा जाता है. मान्यता है इस गांव से ही विश्व में काले जादू की शुरुआत हुई थी. मायोंग गांव का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है.
भारत में ऐसी कई जगहें हैं, जो अपने आप में रहस्यों से भरी हुई हैं. देश के राज्यों में ऐसे कई गांव, किले या कोई ऐसी जगहैं हैं, जिनकी कहानियां लोगों को आश्चर्य में डालती हैं. असम की राजधानी गुवाहाटी से 40 किलोमीटर दूर स्थित मायोंग गांव की कहानी भी कुछ ऐसी है. यह गांव काले जादू के लिए मशहूर है. कहते हैं यहां के लोग अपनी रक्षा के लिए काले जादू का प्रयोग करते हैं. मायोंग गांव का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. जानते हैं इस काले जादू के गांव की क्या है कहानी.
महाभारत से जुड़ा है इतिहास
पंडित इंद्रमणि घनस्याल के अनुसार, मायोंग गांव का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. मायोंग शब्द संस्कृत भाषा के माया शब्द से बना है. मायोंग गांव का उल्लेख महाभारत काल में भी हुआ है. भीम के मायावी पुत्र घटोत्कच मायोंग के ही राजा थे. ऐसे में यह गांव घटोत्कच का माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मायोंग में एक जगह है, जिसे बूढ़े मायोंग नाम से जाना जाता है. यहां तांत्रिक साधना कर तंत्र विद्या में सिद्धि प्राप्त करते हैं. कहा जाता है कि यह कुंड तंत्र-मंत्र की शक्तियों के कारण हमेशा पानी से भरा रहता है.
काले जादू का गढ़ है मायोंग गांव
असम के गुवाहाटी से 40 किलोमीटर दूर ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे बसे मायोंग गांव को काले जादू का गढ़ माना जाता है. पौराणिक मान्यता है कि पूरे विश्व में काले जादू की शुरुआत मायोंग गांव से ही हुई थी. इस गांव में चीन, अफ्रीका, तिब्बत जैसे देशों और भारत के दूसरे गांवों के लोग तंत्र विद्या सीखने आते हैं.कहते हैं कि इस गांव के बच्चों को अपने पूर्वजों से तंत्र-मंत्र विद्या विरासत में मिलती है.
यहां के लोग अपने तंत्र-मंत्र की शक्तियों से कई बीमारियों को ठीक कर देते हैं, इसलिए दूर-दूर से लोग इस गांव में अपना इलाज करवाने भी आते हैं. इस गांव में प्रवेश करते ही काला जादू से जुड़ी कहानियां सुनने को मिल जाएंगी.