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5 या 6 सितंबर कब है हरतालिका तीज, जानें पूजा का सही समय और नियम

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हरतालिका तीज का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के प्रति श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है. इस पर्व को मनाने से मन शांत होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए और कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं.

हरतालिका तीज हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो विशेष रूप से कुंवारी कन्याओं और सुहागिन महिलाओं द्वारा मनाया जाता है. यह पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हर साल मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं और कुंवारी कन्याएं इस दिन मनचाहा वर पाने की कामना करती हैं. सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं. इस दिन महिलाएं विशेष रूप से सजती-संवरती हैं. हरतालिका तीज की कहानी सुनती हैं.

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 5 सितंबर दिन गुरुवार को दोपहर 12:21 बजे शुरू होगी और 6 सितंबर दिन शुक्रवार को दोपहर 3:01 बजे समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार हरतालिका तीज 6 सितंबर को मनाई जाएगी. जो महिलाएं 6 सितंबर को हरतालिका तीज का व्रत रखेंगी उनके लिए पूजा का सिर्फ 2 घंटे 31 मिनट का पवित्र मुहूर्त होगा.

पूजा सामग्री

शिवलिंग: मिट्टी या धातु का शिवलिंग

पंचामृत: दूध, दही, शहद, घी और पानी

बेल पत्र: शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए

फूल: धतूरा, बेल, मोगरा आदि

चंदन: तिलक लगाने के लिए

दीपक: घी का दीपक

धूप: अगरबत्ती या धूप

नैवेद्य: फल, मिठाई आदि

सिंदूर: माता पार्वती के लिए

मेहंदी: हाथों में लगाने के लिए

हरतालिका तीज की पूजा विधि
  • हरतालिका तीज के दिन महिलाएं शिव-पार्वती को प्रसन्न करने के लिए निर्जला व्रत रखती हैं.
  • हरतालिका तीज के दिन शिवलिंग एक चौकी पर स्थापित करें.
  • शिवलिंग का जल, दूध, दही, शहद, घी आदि से अभिषेक करें.
  • शिवलिंग और माता पार्वती की मूर्ति को सजाएं.
  • माता पार्वती का 16 श्रृंगार करें.
  • दीपक जलाएं, धूप दें और नैवेद्य अर्पित करें.
  • मंत्र जाप: ‘ॐ नमः शिवाय’, ‘ॐ पार्वती नमः’ आदि मंत्रों का जाप करें.
  • पूजा के अंत में हरतालिका तीज की कथा अवश्य सुनें.
हरतालिका तीज का महत्व

मान्यता है कि माता पार्वती ने अपने पिता की मर्जी के खिलाफ भगवान शिव से विवाह करने का निश्चय किया था. उन्होंने अपनी सहेलियों के साथ मिलकर गुप्त रूप से शिवलिंग की स्थापना की और उनकी पूजा की थी. इसीलिए इस पर्व को हरतालिका तीज कहा जाता है. सुहागिन महिलाओं के लिए यह त्योहार सुखी वैवाहिक जीवन का प्रतीक है और कुंवारी कन्याओं के लिए यह त्योहार मनचाहा वर पाने का एक अवसर है. यह त्योहार धार्मिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण है. इस पर्व पर महिलाएं एक साथ आती हैं और आपस में प्रेम बढ़ाती हैं. हरतालिका तीज का पर्व महिला सशक्तिकरण का भी प्रतीक माना जाता है.