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पूर्व ट्रेनी IAS पूजा खेडकर को कोर्ट से लगा बड़ा झटका, अग्रिम जमानत याचिका की खारिज

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नई दिल्ली – आईएएस पूजा खेडकर को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट से गुरुवार को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने उन्हें अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। बता दें कि उनके खिलाफ यूपीएससी की शिकायत पर दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एफआईआर दर्ज की थी। उनका चयन रद्द करने के लिए उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था। उन्हें भविष्य की परीक्षाओं से भी रोक दिया गया है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार जंगाला ने कहा कि दिल्ली पुलिस को इस बात की भी जांच करनी चाहिए कि क्या यूपीएससी के अंदर से किसी ने खेडकर की मदद की थी। न्यायाधीश ने मामले में जांच का दायरा बढ़ाते हुए दिल्ली पुलिस को यह जांच करने का निर्देश भी दिया कि क्या अन्य किसी ने भी बिना पात्रता के ओबीसी और दिव्यांग कोटे के तहत लाभ उठाया है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) देवेन्द्र कुमार जंगाला ने खेडकर को अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए अपने 19 पृष्ठों के फैसले में कहा कि आरोपी पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर के खिलाफ आरोप गंभीर और संगीन हैं जिनकी गहन जांच की आवश्यकता है। संपूर्ण षडयंत्र का पता लगाने और षडयंत्र में शामिल अन्य व्यक्तियों की संलिप्तता स्थापित करने के लिए आरोपी से हिरासत में पूछताछ आवश्यक है।
अदालत ने आदेश दिया कि जांच एजेंसी को जांच का दायरा बढ़ाने की जरूरत है। एजेंसी को निर्देश दिया जाता है कि वह हाल के दिनों में यूपीएससी द्वारा अनुशंसित उन उम्मीदवारों का पता लगाए, जिन्होंने अनुमेय सीमा से अधिक प्रयास किए हैं, जिन्होंने पात्र न होने के बावजूद ओबीसी (गैर-क्रीमी लेयर) लाभ प्राप्त किया है और जिन्होंने पात्र न होने के बावजूद बेंचमार्क दिव्यांग व्यक्तियों का लाभ प्राप्त किया है।
अदालत ने कहा कि एजेंसी (दिल्ली पुलिस) को यह भी पता लगाना चाहिए कि क्या यूपीएससी अधिकारियों ने उनकी खेडकर मदद की थी। दिल्ली पुलिस ने यूपीएससी द्वारा दायर शिकायत पर खेडकर के खिलाफ मामला दर्ज किया।
यूपीएससी द्वारा की गई जांच के अनुसार खेडकर ने अपना नाम, अपने पिता और माता का नाम, अपनी तस्वीर/हस्ताक्षर, अपनी ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर और पता बदलकर अपनी पहचान बदलकर परीक्षा नियमों के तहत स्वीकार्य सीमा से परे धोखाधड़ी से प्रयास किए।
पुलिस ने तर्क दिया कि अगर खेडकर को अग्रिम जमानत दी जाती है तो वह जांच में सहयोग नहीं करेगी। बुधवार को खेडकर ने अदालत के समक्ष तर्क दिया था कि उनके खिलाफ मामला पुणे कलेक्टर के कहने पर दर्ज किया गया था, जिनके खिलाफ उन्होंने यौन उत्पीड़न की शिकायत की थी। उन्होंने कहा कि उन्हें सेवा नियमों के तहत खुद का बचाव करने का अवसर दिया जाना चाहिए। हालांकि, दिल्ली पुलिस और यूपीएससी दोनों ने तर्क दिया कि मामले में हिरासत में पूछताछ आवश्यक थी क्योंकि खेडकर ने सिस्टम और समाज को धोखा दिया था।
उन्होंने आरोप लगाया कि मीडिया उनके खिलाफ षड्यंत्र रच रहा है। इस बीच, यूपीएससी ने बुधवार को खेडकर का चयन रद्द कर दिया और उन्हें भविष्य की सभी परीक्षाओं और चयनों से स्थायी रूप से प्रतिबंधित कर दिया। यूपीएससी ने कहा कि खेडकर को “सीएसई-2022 नियमों का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया।”