भारत के संविधान के अनुच्छेद 233 व 309 में दी गई शक्तियों का उपयोग करते हुए विधि विधायी विभाग ने छत्तीसगढ़ उच्चतर न्यायिक सेवा (भर्ती तथा सेवा शर्तें) नियम, 2006 में दी गई पूर्व की व्यवस्था में जरुरी संशोधन कर दिया है। संशोधन आदेश में कहा गया है कि प्रदेश के विभिन्न न्यायालयों में पदस्थ अगर इस्तीफा देने का मन बनाते हैं तो उनको तीन महीने पहले इसकी सूचना विभाग को देनी होगी। सूचना देना जरुरी नहीं समझते हैं तो इस्तीफा स्वीकार होने से पहले तीन महीने का वेतन जमा करना होगा।
पूर्व में यह व्यवस्था एक महीने पहले सूचना या फिर एक महीने का वेतन सरेंडर करने की शर्त रखी गई थी। संविधान के अनुच्छेद 233 व 309 के नियम 12 उप नियम (पांच) में कुछ इस तरह की व्यवस्था थी। छत्तीसगढ़ के राज्यपाल,छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट व राज्य लोक सेवा आयोग के परामर्श और दिए गए सलाह के आधार पर विधि विधायी ने जरुरी संशोधन किया है। विधि विधायी विभाग ने एक और संशोधन कर सिविल जज परीक्षा में शामिल होने वाले परीक्षार्थियों के लिए विधि में स्नातक की डिग्री के साथ ही राज्य अधिवक्ता परिषद में पंजीयन को अनिवार्य कर दिया है। संशोधन के साथ ही राज्यपाल के अनुमोदन व आदेश के बाद विधि विधायी विभाग के अतिरिक्त सचिव सहाबुद्दीन कुरैशी ने छत्तीसगढ़ राजपत्र में प्रकाशित कर दिया है।