पुणे: महाराष्ट्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुखपत्र ‘आर्गेनाइजर’ में प्रकाशित एक लेख को लेकर राजनीति गर्म है। अटकलें लग रही है कि बीजेपी अजित पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से दूरी बना सकती है। आर्गेनाइजर में खुद के खिलाफ की गई टिप्पणी पर अब उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने खुद प्रतिक्रिया दी है। अजित पवार ने कहा है कि उनका फोकस पूरी तरह से आने वाले विधानसभा चुनावाें पर है। अजित पवार ने कहा कि चुनाव के बाद बहुत से नेता अपने विचार और राय व्यक्त कर रहे हैं। लोकतंत्र में अपनी राय व्यक्त करना उनका अधिकार है। मैं उन पर प्रतिक्रिया नहीं देना चाहता। पवार ने कहा कि मैंने खुद का ध्यान विकास पर केंद्रित किया है कि हम कैसे अतिरिक्त सहायता प्रदान कर सकते हैं, और अधिक विकास कार्यों को पूरा कर सकते हैं। मेरा प्रयास यह होगा कि हम महायुति के तौर पर कैसे नई ऊर्जा के साथ राज्य विधानसभा चुनावों का सामना कर सकते हैं। अजित पवार पुणे के संरक्षक मंत्री हैं। इसके अलावा वह महाराष्ट्र के वित्त मंत्री भी है।
जुलाई में शामिल हुए थे पवार
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुखपत्र ‘आर्गेनाइजर’ में प्रकाशित एक लेख में कहा था कि बीजेपी ने अजित पवार को लेकर अपनी ब्रांड वैल्यू कम कर ली थी। इसका नुकसान पार्टी को लोकसभा चुनावों में उठाना पड़ा। अजित पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पिछले साल जुलाई में महायुति का हिस्सा बनी थी। अजित पवार पांचवीं बार राज्य के डिप्टी सीएम बने थे। वह अगले महीने की दो तारीख को एक साल पूरा करेंगे। सत्तारूढ़ महायुति में शिवसेना, बीजेपी और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी मुख्य घटक हैं। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव अक्टूबर में होने हैं। पत्रिका में आरएसएस विचारक द्वारा लिखे गए लेख में लोकसभा चुनाव परिणामों का विश्लेषण किया गया था। इसमें कहा गया था कि अति आत्मविश्वास से बीजेपी को नुकसान हुआ। इसमें कहा गया था कि यह बीजेपी कार्यकर्ताओं के लिए आंख खोलने वाला है।
बीजेपी को हुआ है बड़ा नुकसान
पत्रिका में प्रकाशित लेख में महाराष्ट्र के संदर्भ में बात की गई थी। राज्य में बीजेपी का प्रदर्शन खराब रहा है। उसकी सीटों की संख्या 2019 की 23 से घटकर नौ रह गई है। लेख में कहा गया था कि महाराष्ट्र अनावश्यक राजनीति और ऐसी जोड़तोड़ का एक प्रमुख उदाहरण है जिससे बचा जा सकता था। अजित पवार के नेतृत्व वाला एनसीपी गुट बीजेपी में शामिल हो गया जबकि बीजेपी और विभाजित शिवसेना (शिंदे गुट) के पास आरामदायक बहुमत था। इसमें यह भी कहा गया था कि यह गलत सलाह वाला कदम क्यों उठाया गया? बीजेपी समर्थक आहत थे क्योंकि उन्होंने सालों तक कांग्रेस की इस विचारधारा के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी, उन्हें सताया गया था। एक ही झटके में बीजेपी ने अपनी ब्रांड वैल्यू कम कर ली। महाराष्ट्र में नंबर वन बनने के लिए सालों के संघर्ष के बाद आज वह सिर्फ एक और राजनीतिक पार्टी बन गई है और वह भी बिना किसी अलग पहचान वाली।