रायपुर – दो हजार करोड़ के कथित शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के केस को सुप्रीम कोर्ट के रद्द किए जाने के बाद राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) की कार्रवाई तेज हो गई है। ईओडब्ल्यू ने कथित घोटाले में तीसरी बड़ी कार्रवाई करते हुए आबकारी विभाग के तात्कालीन विशेष सचिव और छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन के एमडी रहे अरुण पति त्रिपाठी को गिरफ्तार कर लिया है। अरुण पति को दो महीने पहले ही फरवरी में 9 महीने जेल में रहने के बाद हाईकोर्ट से जमानत मिली थी। पिछले साल 12 मई को ईडी ने उन्हें गिरफ्तार किया था। द रूरल प्रेस को मिली जानकारी के अनुसार अब EOW ने उन्हें बिहार से गिरफ्तार किया है। गुरुवार को गिरफ्तारी की बात कही जा रही है। ब्यूरो की एक टीम उनके जमानत पर बाहर आने के बाद से लगातार उन्हें सर्विलांस में रखी हुई थी।
इस केस में ईओडब्ल्यू की तरफ से की गई गिरफ्तारी में एपी त्रिपाठी गिरफ्तारी तीसरी है। इससे पहले जेल से बाहर निकलते ही अरविंद सिंह और उसके दूसरे दिन कारोबारी अनवर ढेबर को ब्यूरो की टीम ने गिरफ्तार किया था। फिलहाल अरविंद सिंह और अनवर ढेबर ईडी की रिमांड में हैं, जिन्हें शुक्रवार को कोर्ट में पेश किया जाना है। संभावना है कि ब्यूरो शुक्रवार को त्रिपाठी को भी कोर्ट में पेश करे और फिर तीनों की एक साथ रिमांड हासिल करे। EOW ने एपी त्रिपाठी की गिरफ्तारी ऐसे वक्त पर की है, जब ईडी के केस को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। जबकि ईओडब्ल्यू का केस ही ईडी की रिपोर्ट पर बेस था। अब सवाल उठ रहा है कि EOW की कार्रवाई के पीछे कौन से बड़े कारण है, जिसमें ब्यूरो की टीम ताबड़तोड़ कार्रवाई में जुटी है। गुरुवार को ही ब्यूरो की टीम ने भिलाई के खुर्सीपार और नेहरू नगर इलाके में पप्पू बंसल और विजय भाटिया के ठिकानों पर दबिश दी है। इन दोनों को भी EOW ने अपनी एफआईआर में आरोपी बनाया है।
ईडी की नई ईसीआईआर दर्ज करने की चर्चा
दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट से झटका खाने के बाद ईडी की नई ईसीआईआर (इंफोर्समेंट केस इंफॉर्मेशन रिपोर्ट) दर्ज करने की चर्चा है। जल्द ही ईडी नई ईसीआईआर दर्ज करेगा, जिसमें ऐसे तथ्य रखेगा ताकि शराब घोटाले को कोर्ट में स्थापित किया जा सके। इसके लिए ईडी ईओडब्ल्यू की एफआईआर को भी आधार बना सकता है, लेकिन इसकी संभावनाएं काफी कम है, क्योंकि ईओडब्ल्यू की एफआईआर ईडी की उसी रिपोर्ट पर आधारित है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसियों को हर तरह से अपने हाथ रोकने का दिया था आदेश
अक्टूबर में हाईकोर्ट ने शराब घोटाले में आरोपियों की अंतरिम जमानत खत्म कर दी थी, जिसके बाद ट्रायल कोर्ट ने अनवर ढेबर और करिश्मा ढेबर के खिलाफ ट्रायल कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया था। इस वारंट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जब मामला पहुंचा तो सुप्रीम कोर्ट ने वारंट पर रोक लगा दी थी। दोनों की अंतरिम जमानत बहाल की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हाई कोर्ट को विशेष रूप से 18 जुलाई, 2023 के शीर्ष अदालत के आदेश के मद्देनजर अंतरिम जमानत बढ़ाने का आदेश जारी करना चाहिए था, जिसमें जांच एजेंसियों को ‘हर तरह से अपने हाथ रोकने’ के लिए कहा गया था। साथ ही आरोपियों के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने के लिए कहा गया था। जस्टिस कौल ने टिप्पणी की कि हमारे विचार में यह (उच्च न्यायालय द्वारा) हमारे आदेश का उल्लंघन है।