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छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में कौन कर रहा ड्रोन से बमबारी

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छत्तीसगढ़ सरकार पर किसने लगाया ये आरोप?

रायपुर – छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाके, सुकमा-बीजापुर जिलों के सीमावर्ती क्षेत्रों के गांव मेट्टागुड़ा, एर्रानपल्ली व बोट्टेतोंग के खेत खलिहान और जंगल में सुरक्षा बलों पर ड्रोन से बम गिराने का आरोप लगा है। सीपीआई (माओवादी) दक्षिण सब जोनल ब्यूरो के प्रवक्ता समता ने अपने पत्र में कहा है कि यह ड्रोन हमला, 4-5 किलोमीटर के दायरे में किया गया है। 13 जनवरी को देशभर में संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा था, तब बस्तर के आदिवासियों पर बम गिराए जा रहे थे। आदिवासी इलाकों में बम गिराने का सिलसिला 2021 में शुरू हुआ था। सुरक्षा बलों के सूत्रों ने ऐसे किसी हमले से इनकार किया है।

दक्षिण सब जोनल ब्यूरो के प्रवक्ता समता ने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में भाजपा सरकार बनने के बाद जनता पर दमन तेज हो गया है। हजारों की संख्या में पुलिस एवं सुरक्षा बल तैनात किए जा रहे हैं। सैंकड़ों बुलडोजर, जंगल को तहस नहस कर सुरक्षा बलों के कैंप बनाए जा रहे हैं। कैंप के लिए पुलिया, रोड व टावर बन रहे हैं। नक्सली संगठन के प्रवक्ता का कहना है, नववर्ष के बाद से ही जनता को प्रताड़ित किया जा रहा है। लोगों को जेल में डालना, उन पर फायरिंग और सामान के साथ तोड़फोड़ की जा रही है।

बीजापुर जिले के मुड़वेंदी गांव में हुई फायरिंग में छह महीने की बच्ची मारी गई। उसकी घायल मां को अस्पताल में बंदी बनाकर रखा गया है। बस्तर इलाके में 24 घंटे ड्रोन घूम रहा है। लोगों को भयभीत किया जा रहा है। आरोप लगाया गया है कि ये सब आदिवासी मुख्यमंत्री विष्णु देव साय तथा उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा के आदेश पर हो रहा है। मुख्यमंत्री का आदिवासी चेहरा, कॉरपोरेट कंपनियों की सेवा करने के लिए एक मुखौटा है। ये सब भाजपा सरकार की पॉलिसी का हिस्सा है।

सीपीआई (माओवादी) दक्षिण सब जोनल ब्यूरो द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ राज्य, आदिवासी बहुल इलाका है। यहां पर खनिज संपत्ति का भंडार है। कई वर्षों से इस भंडार को कॉरपोरेट कंपनियों को सौंप देने के लिए सरकार प्रयास कर रही है। इस बात को विकास की आड़ में आगे बढ़ाया जा रहा है। भाजपा सरकार की विकसित भारत संकल्प यात्रा के नाम से हंगामा कर, बड़े कॉरपोरेट घरानों को मजबूत करने की कोशिश की जा रही है। छत्तीसगढ़ के लोगों को ड्रोन हमलों का विरोध करना चाहिए। इस मामले की जांच के लिए आंदोलन होगा। छत्तीसगढ़ में तैनात सुरक्षा बलों ने इन आरोपों को निराधार बताया है।