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डरने वाला नहीं हूं, तुम्हारी गोलियां खत्म हो जाएंगी, मैं जिंदा रहूंगा….लोकसभा में क्यों भड़के ओवैसी

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भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नए कानून लाने के लिए लाए गए विधेयक पर बुधवार को लोकसभा में चर्चा हुई। चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह

नई दिल्ली – विपक्षी सांसदों के थोक में निलंबन के बीच बुधवार को लोकसभा में अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे कानूनों को बदलने के लिए लाए गए विधेयकों पर चर्चा हुई। इस दौरान AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने नए कानूनों की रौलट ऐक्ट से तुलना करते हुए उनका विरोध किया। भाषण के दौरान जब किसी सदस्य ने उन्हें टोका तो ओवैसी आगबबूला हो गए और कहने लगे कि वह मरने को तैयार हैं, उनकी गोलियां खत्म हो जाएंगी लेकिन वह जिंदा रहेंगे। वहीं, शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर ने चर्चा के दौरान 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों का जिक्र किया। गृह मंत्री अमित शाह ने चर्चा का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार गुलामी के दौर के निशान मिटा रही है।

चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कि पीएम मोदी पुराने निशान मिटा रहे हैं। तीनों कानून अंग्रेजों के जमाने के हैं। शाह ने कहा कि शास्त्रों में न्याय को दंड से ऊपर रखा गया है। शाह ने कहा कि पुराने कानून दमन के लिए बनाए गए थे। पहली बार मोदी सरकार आंतकवाद की व्याख्या करने जा रही है। उन्होंने कहा कि ये एक ऐसा मौका है जब हमारा संविधान अगले वर्ष 75 वर्ष पूरा कर लेगा। एक ऐसा मौका है जब हाल ही में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का कानून पास हुआ। इसी दौरान 150 साल पुराने 3 कानूनों में पहली बार मोदी जी के नेतृत्व में भारतीयता, भारत का संविधान और भारत की जनता का चिंता करने वाले बहुत आमूल-चूल परिवर्तन करने वाला बदलाव लेकर आया था। उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता का उद्देश्य ही दंड देने वाला था जबकि भारतीय न्याय संहिता न्याय देने वाला है।

असदुद्दीन ओवैसी ने तीनों विधेयकों का विरोध करते हुए शायराना अंदाज में भी दिखे। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत शेर से की- हमकों शाहों की अदालत से तवक्को तो नहीं, आप कहते हैं तो जंजीर हिला देते हैं। बाद में ओवैसी ने जॉन औलिया का शेर पढ़ा, ‘जुर्म में हम कमी करें भी तो क्यों, तुम सजा भी तो कम नहीं करते।’ AIMIM चीफ ने चर्चा के दौरान जेलों में बंद मुस्लिमों का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि भारत के जेलों में अगर सबसे ज्यादा अंडरट्रायल कैदी हैं तो वह मुस्लिम हैं। जेलों में 20 प्रतिशत मुस्लिम बंद हैं जबकि उनका कन्विक्शन रेट 14 प्रतिशत है और आबादी में हिस्सेदारी 14 फीसदी है। ओवैसी ने नए कानूनों की अंग्रेजों के जमाने के रौलट ऐक्ट से तुलना करते हुए कहा कि आज सूट पहनने वाला क्राइम से, जुर्म से, जेल से बच जाता है। खाकी पहनने वाला हथकड़ी पहने मुजरिम को करीब से गोली मार सकता है, कोई जवाबदेही नहीं है। जिन पर आतंकवाद का आरोप है वो इस पर वोट डालेंगे कि ये आतंकवाद है कि नहीं।इसी दौरान ओवैसी ने 1999 में पुलिस के हाथों हुई अपनी पिटाई का एक वाकया भी सुनाया।

उन्होंने कहा, ‘सर पुलिस ने मुझको पीटा था। 1999 में 22 दिसंबर को मेरे सिर पर 20 टांके लगे। पीठ से लेकर पैर तक मारा गया। टीडीपी की सरकार थी। उन्होंने उन दोनों पुलिसवालों को जिन्होंने मुझे मारा था, उन्हें आईपीएस बना दिया।’ जब वह ये कह रहे थे तभी किसी सदस्य ने उन्हें टोक दिया। फिर क्या था, ओवैसी भड़क गए। उन्होंने कहा, ‘अरे मैं तैयार हूं मरने के लिए। तुम मारोगे क्या बोलो? कहां मारोगे बताओ। तुम्हारी गोलियां खत्म हो जाएंगी, मैं जिंदा रहूंगा। तुम्हारी गोलियों से मैं डरने वाला नहीं हूं।’nbt