सांसदों के निलंबन को लेकर कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने मोदी सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि सरकार ने लोकतांत्रिक प्रणालियों को कूड़ेदान में फेंक दिया है.
नई दिल्ली – संसद की सुरक्षा में चूक को लेकर सोमवार (18 दिसंबर) को संसद के दोनों सदन में जमकर बवाल हुआ. इस बीच दोनों सदन से विपक्षी दलों के 78 सांसदों को निलंबित कर दिया गया. इनमें लोकसभा के 33 और राज्यसभा के 45 विपक्षी सांसद शामिल हैं. इसके साथ इस सत्र में कुल निलंबित किए गए सांसदों की संख्या 92 हो गई है.
इस बीच सांसदों पर लगातार हो रही कार्रवाई और उनके निलंबन को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष-रहित संसद में मोदी सरकार अब महत्वपूर्ण लंबित कानूनों को बिना किसी चर्चा-बहस या असहमति से बहुमत के साथ पारित करवा सकती है.
‘लोकतांत्रिक प्रणालियों को कूड़ेदान में फेंका’
खरगे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “13 दिसंबर 2023 को संसद पर एक हमला हुआ था और आज एक बार फिर मोदी सरकार ने संसद और लोकतंत्र पर हमला किया है. तानाशाही मोदी सरकार की ओर से अब तक 92 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर, सभी लोकतांत्रिक प्रणालियों को कूड़ेदान में फेंक दिया गया है.”
‘हमारी दो मांगें’
कांग्रेस नेता ने कहा, “हमारी सिर्फ दो मांगे हैं. एक यह कि गृह मंत्री को संसद की सुरक्षा में हुई चूक को लेकर संसद के दोनों सदनों में बयान देना चाहिए और दूसरी इस पर विस्तृत चर्चा की जानी चाहिए.” खरगे ने कहा कि पीएम मोदी अखबार को और गृह मंत्री टीवी पर इंटरव्यू दे सकते हैं, लेकिन बीजेपी संसद में अपनी जवाबदेही से भाग रही है.
खरगे ने स्पीकर जगदीप धनखड़ को लिखा पत्र
इससे पहले खरगे ने राज्यसभा स्पीकर जगदीप धनखड़ को टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन का निलंबन रद्द करने के लिए पत्र लिखा था. खरगे ने पत्र में लिखा कि आपने उन्हें (डेरेक) 14 दिसंबर को निलंबित कर दिया था. वह बस 13 दिसंबर को हुई घटना को लेकर राजनीतिक दलों की ओर से गृह मंत्री के बयान की मांग कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि संसद की सुरक्षा में हुई चूक पर चर्चा जायज है और यह संसदीय परंपराओं उल्लंघन है कि गृह मंत्री घटना को लेकर मीडिया में बोल सकते हैं, लेकिन वह संसद में कुछ नहीं बोल रहे.