बस्ती – बस्ती जिले में महिला अधिकारी के साथ दुष्कर्म के प्रयास और जानलेवा हमले की कोशिश करने का आरोपी नायब तहसीलदार घनश्याम शुक्ल को पुलिस ने सोमवार को सदर कोतवाली के रोडवेज के पास से गिरफ्तार कर लिया है. वहीं आरोपी पक्ष का कहना है कि गिरफ्तारी नहीं हुई है. नायब तहसीलदार घनश्याम शुक्ल ने कोतवाली में सरेंडर किया है.
बता दें कि महिला अधिकारी के आवास में जबरन घुसकर दुष्कर्म का प्रयास, हत्या की कोशिश, मारपीट और अपशब्द कहने के आरोपी निलंबित नायब तहसीलदार घनश्याम शुक्ल के रिश्तेदारों पर पुलिस ने शिकंजा कसते हुए दबाव बनाने की कोशिश की थी. इसके तहत आरोपी की मदद करने के आरोप में परिवार वालों के अलावा कई रिश्तेदारों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था.
इनमें आरोपी के साले विश्वम नारायण और ससुर प्रसिद्ध नारायण निवासी दिव्य नगर, खोराबार, गोरखपुर को कोतवाली पुलिस ने शनिवार रात आठ बजे गिरफ्तार कर लिया था. साले और ससुर को रविवार को अदालत में पेश किया गया. जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया था.
महिला अफसर के साथ उनके सरकारी आवास में घुसकर रेप और हत्या की कोशिश के मामले में अब नया मोड़ आ गया है. विशाखा कमेटी की उस रिपोर्ट को एसपी ने खारिज कर दिया है. जिसमें आरोपी नायब तहसीलदार घनश्याम शुक्ला को क्लीन चिट देने की कोशिश की गई और पीड़ित महिला अफसर के चरित्र पर सवाल उठाए गए.
आरोपी नायब तहसीलदार घनश्याम शुक्ला पर 25 हजार का इनाम घोषित किया गया. साथ ही पुलिस की 6 टीमें उसकी गिरफ्तारी के लिए बस्ती से दिल्ली तक खाक छान रही थी. इसी बीच एसपी बस्ती की तरफ से एक बयान जारी किया गया है. इसमें कहा गया है कि पुलिस की जांच में आरोपी नायब तहसीलदार घनश्याम दोषी पाए गए हैं और उन्होंने विशाखा की जांच टीम को गलत बयान दिया था. बस्ती पुलिस की तरफ से जारी इस बयान के बाद पूरा मामला और उलझ गया है. अब सवाल खड़े हो रहे हैं कि डीएम के नेतृत्व में बनी विशाखा टीम ने क्या प्रभाव में रिपोर्ट लिखी थी? आखिर एक महिला अफसर के चरित्र पर टीम ने किस आधार पर सवाल खड़े किए?
विशाखा की रिपोर्ट में पीड़ित महिला अफसर के आवास पर बलरामपुर के किसी युवक की मौजूदगी दर्शाई गई थी. टीम ने जांच में पाया था कि महिला अफसर से उसके संबंध हैं और उस दिन आवास पर युवक से महिला अधिकारी का झगड़ा हो रहा था. जिसे सुनकर आरोपी अफसर बीचबचाव करने गए थे. मगर उनके आने की आहट पर वह भाग गया. जिसे पकड़ने के लिए वे दौड़े और उनकी चप्पल महिला अफसर के कमरे में छूट गई. विशाखा टीम की यह थ्योरी अब पूरी तरह से फर्जी निकली है. एसपी ने पूरे मामले की जांच कर घनश्याम शुक्ला को दोषी पाया है.
इस पूरे मामले में शुरू से जिले के एक बड़े अधिकारी की भूमिका संदिग्ध रही है. घटना के बाद जब पुलिस ने एफआईआर लिखने में आनाकानी की तो पीड़ित महिला अधिकारी डीएम के पास पहुंची. लेकिन नहीं मिल पाई. इसके बाद बीजेपी के एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने पूरे मामले में शासन से बात की. तब जाकर मुकदमा दर्ज हुआ. इसके बाद डीएम अंद्रा वामसी ने तीन महिला अधिकारियों की एक टीम गठित की. जिसे विशाखा टीम के नाम से जाना जाता है. इसकी रिपोर्ट में भी एक महिला की बात सुनने के बजाए आरोपी नायब तहसीलदार घनश्याम शुक्ला को निर्दोष बता दिया गया.
दिवाली की रात घटी इस घटना के चार दिन बाद हुई कोतवाली में सदर तहसील के रहे नायब तहसीलदार घनश्याम शुक्ला पर एफआईआर लिखी गई. मुकदमा दर्ज होने के बावजूद आरोपी मजिस्ट्रेट कई दिन तक जिले में ही मंडराते रहे. इतना ही नहीं, आरोपी मजिस्ट्रेट एक गांजा माफिया के साथ बाइक पर बैठकर जिले से भागने में कामयाब भी हो गए. पूरा मामला जब सीएम के संज्ञान में आया तब जाकर एक्शन शुरू हुआ और आरोपी मजिस्ट्रेट को सस्पेंड कर उन पर इनाम घोषित किया गया.
फरार चल रहे नायब तहसीलदार के ऊपर 25000 रुपए का इनाम घोषित कर दिया गया था. घनश्याम शुक्ला के आवास पर नहीं मिलने पर अदालत से गैर जमानती वारंट जारी कर कर आवास पर चस्पा किया गया था. वहीं शासन ने नायब तहसीलदार घनश्याम शुक्ला को यहां से हटकर कानपुर कमिश्नर कार्यालय में अटैच कर दिया.
महिला अधिकारी ने 17 नवंबर को कोतवाली में तहरीर देकर आरोप लगाया था कि शनिवार 11 नवंबर की देर रात एक बजे सदर तहसील में तैनात नायब तहसीलदार घनश्याम शुक्ला ने उनका दरवाजा खटखटाया. उन्होंने दरवाजा नहीं खोला तो आरोपित ने आवास के पिछले दरवाजे को पैर से मारकर तोड़ दिया और जबरन उनके आवास में घुस आया. उन्हें अपशब्द कहते हुए थप्पड़ मारा. दांत से शरीर के कई हिस्सों में काट लिया. उनका कपड़ा भी फाड़ दिया. उनके साथ दुष्कर्म का प्रयास किया. कामयाब न होने पर उनका गला दबाकर हत्या करने की कोशिश की. बड़ी मुश्किल से उनकी जान बची.