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गाजा में युद्धविराम पर UNGA में मतदान, संयुक्त राष्ट्र में मतदान से भारत ने क्यों रखी दूरी?

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भारत ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में जॉर्डन द्वारा प्रस्तुत एक मसौदा प्रस्ताव पर मतदान से परहेज किया, जिसमें इज़राइल-हमास संघर्ष में तत्काल मानवीय संघर्ष विराम का आह्वान किया गया था, क्योंकि इसमें आतंकवादी समूह हमास का कोई उल्लेख नहीं किया गया था।

भारत ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में जॉर्डन द्वारा प्रस्तुत एक मसौदा प्रस्ताव पर मतदान से परहेज किया, जिसमें इज़राइल-हमास संघर्ष में तत्काल मानवीय संघर्ष विराम का आह्वान किया गया था, क्योंकि इसमें आतंकवादी समूह हमास का कोई उल्लेख नहीं किया गया था। मसौदा प्रस्ताव में गाजा पट्टी में निर्बाध मानवीय पहुंच का भी आह्वान किया गया था और इसे बांग्लादेश, मालदीव, पाकिस्तान, रूस और दक्षिण अफ्रीका सहित 40 से अधिक देशों द्वारा सह-प्रायोजित किया गया था। भारत के अलावा, अनुपस्थित रहने वाले देशों में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, जापान, यूक्रेन और यूके शामिल थे।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इजराइल और गाजा के बीच संघर्ष को रोकने के लिए गाजा में ‘‘मानवीय संघर्ष विराम’’ का आह्वान करने वाला एक प्रस्ताव शुक्रवार को पारित किया। हालांकि यह प्रस्ताव बाध्यकारी नहीं है। अरब देशों द्वारा पेश किए गए इस प्रस्ताव को 193 सदस्यीय इस विश्व निकाय ने 14 के मुकाबले 120 मतों से पारित कर दिया,वहीं 45 देश इस पर मतदान से दूर रहे। महासभा ने अमेरिका द्वारा समर्थित कनाडा के एक संशोधन को खारिज करते हुए यह प्रस्ताव पारित किया। इसमें हमास द्वारा इजराइल पर सात अक्टूबर के ‘‘आतंकवादी हमले’ की स्पष्ट रूप से निंदा करने और हमास द्वारा बंधक बनाए लोगों की तत्काल रिहाई की मांग की गयी थी।

 

संयुक्त राष्ट्र के 22 देशों के अरब समूहों की ओर से संयुक्त राष्ट्र में जॉर्डन के राजदूत महमूद हमूद ने जमीनी स्तर पर बढ़ते तनाव की तात्कालिकता के कारण इस प्रस्ताव पर कार्रवाई करने का आह्वान किया। संयुक्त राष्ट्र की और अधिक शक्तिशाली 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद के पिछले दो सप्ताह में चार प्रयासों के बावजूद किसी प्रस्ताव पर सहमत न होने के बाद अरब देशों के समूह ने महासभा का दरवाजा खटखटाया। सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव कानूनी रूप से बाध्यकारी होते हैं लेकिन महासभा के प्रस्ताव बाध्यकारी नहीं होते। मतदान से पहले हमूद ने कहा, ‘‘इजराइल अब किए जा रहे अत्याचारों के लिए जिम्मेदार है और ये अत्याचार गाजा में जमीनी आक्रमण के दौरान भी होंगे।’’

 

संयुक्त राष्ट्र में कनाडा के राजदूत रॉबर्ट रे ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि इस प्रस्ताव से ऐसा लगता है कि सात अक्टूबर की घटनाओं को भुला दिया गया है। संशोधन में हमास की निंदा की गयी है जो ‘‘इतिहास के सबसे वीभत्स आतंकवादी हमलों में से एक के लिए जिम्मेदार है।’’ संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरान ने कहा कि अरब के प्रस्ताव में जानबूझकर निंदा नहीं की गयी या इजराइल का उल्लेख या किसी अन्य दल का उल्लेख नहीं किया गया। उनके इस बयान पर महासभा में खूब तालियां बजीं। उन्होंने कहा, ‘‘अगर कनाडा वास्तव में न्यायसंगत होता तो वह हर किसी- दोनों पक्ष जो अपराध के दोषी हैं, का नाम शामिल करने पर राजी होता या वह किसी के नाम का उल्लेख नहीं करता जैसा कि हमने किया।’’

 

बुधवार को शुरू हुआ संयुक्त राष्ट्र महासभा का विशेष सत्र शुक्रवार सुबह तक चला। अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने इजराइल के राजदूत के सुर में सुर मिलाते हुए हमास का जिक्र न करने के लिए इस प्रस्ताव को ‘‘अपमानजनक’’ बताया। इस प्रस्ताव में तत्काल, स्थायी और सतत मानवीय संघर्ष विराम का आह्वान किया गया है जिससे शत्रुता रोकी जा सके। इसमें सभी पक्षों से अंतरराष्ट्रीय मानवीय और मानवाधिकार कानूनों के तहत अपने दायित्वों का तुरंत पालन करने की मांग की गयी है।

 

भारत द्वारा वोट की व्याख्या

उप स्थायी प्रतिनिधि राजदूत योजना पटेल ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा, “7 अक्टूबर को इजराइल में हुए आतंकी हमले चौंकाने वाले थे और निंदा के लायक थे। हमारी संवेदनाएं बंधक बनाए गए लोगों के साथ हैं। हम उनकी तत्काल और बिना शर्त रिहाई का आह्वान करते हैं।” उन्होंने कहा, “आतंकवाद एक घातक बीमारी है और इसकी कोई सीमा, राष्ट्रीयता या नस्ल नहीं होती है। दुनिया को आतंकी कृत्यों के औचित्य पर विश्वास नहीं करना चाहिए। आइए हम मतभेदों को दूर रखें, एकजुट हों और आतंकवाद के प्रति शून्य-सहिष्णुता का दृष्टिकोण अपनाएं।” भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा, “मानवीय संकट को संबोधित करने की जरूरत है। हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के तनाव कम करने के प्रयासों और गाजा के लोगों को मानवीय सहायता पहुंचाने का स्वागत करते हैं। भारत ने भी इस प्रयास में योगदान दिया है।”

 

भारत ने कहा “हम पार्टियों से आग्रह करते हैं कि वे तनाव कम करें, हिंसा से बचें और सीधी शांति वार्ता की शीघ्र बहाली के लिए स्थितियां बनाने की दिशा में काम करें। हमें उम्मीद है कि इस विधानसभा के विचार-विमर्श से आतंक और हिंसा के खिलाफ एक स्पष्ट संदेश जाएगा और कूटनीति और बातचीत की संभावनाओं का विस्तार होगा।