रायपुर – छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव की घोषणा होने से पहले अपनी राजनीतिक महत्त्वकांक्षाओं कई नेताओं ने दलबदल किया था। वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय का नाम सूची में सबसे प्रमुख था। अपना पूरा राजनीतिक करियर भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता के तौर पर बिताने के बाद इसी साल मई के महीने में उन्होंने कांग्रेस में प्रवेश कर लिया था।
नंदकुमार साय का कहना था कि भाजपा में उनकी कोई सुनता नहीं है और लगातार उनकी उपेक्षा हो रही है। कांग्रेस में प्रवेश करने के बाद उन्हें हर शासकीय कार्यक्रम से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ देखा गया। साय को सीएम भूपेश बघेल ने राज्य औद्योगिक विकास निगम का अध्यक्ष बनाया और उनकी वरिष्ठता का लिहाज करते हुए कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया,लेकिन विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए मैदान में नहीं उतरा।
नंदकुमार साय ने अपने गृह जिले जशपुर की लैलूंगा विधानसभा सीट से टिकट के दावेदारी भी पेश की थी। चर्चा थी कि उन्हें जशपुर, पत्थलगांव, कुनकुरी या फिर लैलूंगा से उम्मीदवार बना सकती है, किंतु साय को मौका नहीं मिला, इन चारों सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी घोषित हो चुके है। हालांकि अब इस बात की चर्चा है कि कांग्रेस उन्हें लोकसभा चुनाव में मौका दे सकती है।
BJP छोड़ने का क्या कारण बताया था? 1 मई 2023 को भाजपा को भेजे गए अपने इस्तीफे में साय ने लिखा था कि ‘ आज भारतीय जनता पार्टी जिसके गठन से लेकर आज पर्यन्त तक पूरे मेहनत एवं ईमानदारी से सींच कर फर्श से अर्श तक पहुंचाया था, उसे छोड़ते समय अत्यंत पीड़ा एवं दुख तो हो रहा है, लेकिन वर्तमान में पार्टी में मेरी छवि एवं गरिमा को जैसे आहत किया जा रहा था, उसके अनुरूप अपने आत्मसम्मान को देखते हुए मेरे पास अन्य कोई विकल्प नही बचा है। भारतीय जनता पार्टी में मेरे साथ कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं एवं साथियों का बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद।