जगदलपुर – पूरे देश में जहां रक्षा बंधन के त्योहार लेकर खुशी देखी जा रही है। बहन अपनी भाइयों की कलाई पर राखी बांधने के लिए उत्सुक नजर आ रही हैं। जिसके लिए बाजार में राखी दुकानों से सजी हुई हैं। वहीं, रक्षाबंधन पर्व को लेकर बस्तर संभाग में एक बड़ी बात सामने निकल कर आई है। जहां सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष ने कहा है कि रक्षाबंधन का पर्व आदिवासियों का नहीं है, इसे मानना या ना मानना उनके ऊपर है।
बता दें कि विगत कुछ वर्षों से बस्तर के अंदरूनी इलाकों से दबी जुबान से यह बात लगातार सामने आ रही है कि आदिवासी समाज रक्षाबंधन पर्व को नहीं मनाएगा। जो भी इस पर्व को मानते दिखाई देगा उस पर कार्रवाई भी किया जा सकती है। जिसके चलते समाज के लोग इस पर्व को मानने से भी कतरा रहे हैं। क्योंकि उनका कहना है कि अगर किसी ने इसकी सूचना समाज को दे ती तो दंड भी भुगतना पड़ सकता है। जिसके चलते डर के चलते आदिवासी समाज इस दिन को मानने से भी कतरा रहा हैं।
मानना या ना मानना लोगों पर निर्भर’
सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर का कहना है कि रक्षाबंधन पर्व आदिवासियों का पर्व नहीं है। लेकिन इसे मानने के लिए या ना मानने के लिए किसी प्रकार का कोई दबाव नहीं दिया गया है। समाज के लोग अपनी इच्छा से इस दिन को मनाए या ना मनाए ये उनके ऊपर निर्भर करता है।
राखी नहीं मानने को लेकर की अपील’
उधर, सोसल मीडिया पर एक वीडियो का वायरल हो रहा है। जहां गांव में एक आटो के ऊपर माइक लगाकर हल्बी भाषा में प्रचार प्रसार किया जा रहा है। जिसमें राखी का त्योहार नहीं मनाने की बात कही जा रही है। इसमें बताया जा रहा है कि यह त्योहार बाहरी लोगों का है, हमारा त्योहार नहीं है। इससे बाहरी लोगों का फायदा होता है। इस वीडियो में यह भी कहा जा रहा है कि ना ही गणेश पूजा करनी है और ना ही दुर्गा पूजा करनी है। यह वीडियो कितना सही है, इसकी अब तक पुष्टि नहीं हो पाई है।