प्रधानमंत्री की डिग्री को लेकर क्या विवाद है? केजरीवाल लगातार पीएम की डिग्री पर सवाल क्यों उठा रहे हैं? संजय सिंह पर क्या आरोप हैं? अगर दोनों नेताओं पर आरोप साबित होते हैं तो दोनों को कितनी सजा हो सकती है? आइये जानते हैं…
नई दिल्ली – दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह मानहानी के मामले में फंस गए हैं। दोनों को गुरुवार को अहमदाबाद की मेट्रोपोलिटिन कोर्ट में पेश होना है। दोनों नेताओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री से जुड़े एक मामले में गुजरात विश्वविद्यालय ने मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है। मामले में सात जून को सुनवाई हो चुकी है। तब कोर्ट ने 13 जुलाई को दोनों नेताओं को पेश होने का निर्देश दिया था।
सवाल ये है कि आखिर दोनों नेताओं पर क्या आरोप लगे हैं? प्रधानमंत्री की डिग्री को लेकर क्या विवाद है? केजरीवाल लगातार पीएम की डिग्री पर सवाल क्यों उठा रहे हैं? संजय सिंह पर क्या आरोप हैं? अगर दोनों नेताओं पर आरोप साबित होते हैं तो दोनों को कितनी सजा हो सकती है? आइये जानते हैं…
पहले जानिए केजरीवाल और संजय सिंह पर क्या आरोप लगे हैं?
अहमदाबाद में स्थित गुजरात विश्वविद्यालय ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद और आप सांसद संजय सिंह के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज करवाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री से जुड़े इस मामले में केजरीवाल और संजय सिंह पर विश्वविद्यालय की छवि खराब करने का आरोप है।
गुजरात विश्वविद्यालय ने दायर याचिका में कहा है कि केजरीवाल और संजय सिंह लगातार संस्थान की प्रतिष्ठा पर सवाल उठा रहे हैं। उनको पता है कि प्रधानमंत्री की डिग्री पहले ही वेबसाइट पर अपलोड की जा चुकी है। इसके बावजूद दोनों नेता कह रहे हैं कि डिग्री न दिखाकर विश्वविद्यालय सच छिपा रही है, जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है।
मामले में अब तक क्या हुआ है?
कोर्ट ने 15 अप्रैल को हुई सुनवाई में आप के दोनों नेताओं को 23 मई को पेश होने का आदेश दिया था। जज ने कहा था कि प्रथमदृष्टया इनके खिलाफ IPC की धारा 500 (मानहानि) के तहत मामला प्रतीत होता है। दोनों नेताओं को 23 मई को कोर्ट में हाजिर होना था, लेकिन वे नहीं हुए। तब आप ने दावा किया कि कोर्ट से कोई समन ही नहीं मिला था।
इसके बाद कोर्ट ने दोबारा समन जारी किया और सात जून को पेश होने के लिए कहा। तब भी दोनों कोर्ट नहीं पहुंचे थे। वकील ने पेशी से छूट के लिए आवेदन दिया था, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर दोनों को 13 जुलाई को कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया था। हालांकि, गुरुवार को भी दोनों की पेशी मुश्किल ही लग रही है। दिल्ली में बाढ़ से जनता बेहाल है। ऐसे में संभव है कि एक बार फिर से दोनों के वकील पेशी से छूट के लिए आवेदन करें।
क्या है पीएम मोदी के डिग्री का विवाद?
केजरीवाल के खिलाफ पीएम मोदी की डिग्री को लेकर दो मामले चल रहे हैं। पहला अहमदाबाद की मेट्रोपोलिटिन कोर्ट में है, जिसमें गुरुवार को सुनवाई होनी है। दूसरा मामला गुजरात हाईकोर्ट में है। ये याचिका खुद अरविंद केजरीवाल ने दायर की है।
दरअसल, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अप्रैल 2016 में केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) को एक पत्र लिखकर पीएम मोदी की शैक्षिक योग्यता से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक करने की मांग की थी। उन्होंने पत्र में लिखा कि इस मुद्दे पर किसी भी तरह के भ्रम को दूर करने के लिए डिग्री को सार्वजनिक किया जाना चाहिए।
इसके बाद मुख्य सूचना आयुक्त ने गुजरात विश्वविद्यालय से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एमए डिग्री के बारे में केजरीवाल को जानकारी मुहैया कराने को कहा था। सूचना आयोग के इस आदेश को विश्वविद्यालय प्रशासन ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
हाईकोर्ट ने बीते 31 मार्च के अपने फैसले में सूचना आयोग के आदेश को रद्द करते हुए अरविंद केजरीवाल पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगा दिया था। इसके बाद केजरीवाल ने एक बार फिर से हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की। केजरीवाल की याचिका पर पिछली बार गुजरात हाईकोर्ट के जस्टिस बीरेन वैष्णव की सिंगल जज बेंच ने फैसला सुनाया था। इस बार भी ये मामला बीरेन वैष्णव की बेंच के पास ही गया है।
बार-बार पीएम की डिग्री पर सवाल क्यों खड़े कर रहे हैं केजरीवाल?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने हलफनामे में अपनी डिग्री को लेकर सूचना उपलब्ध कराई है। इसके मुताबिक प्रधानमंत्री ने 1978 में गुजरात विश्वविद्यालय से स्नातक और 1983 में दिल्ली विश्वविद्यालय से परास्नातक की पढ़ाई पूरी की है। अरविंद केजरीवाल लगातार पीएम मोदी की डिग्री को मुद्दा बनाते रहे हैं। उनका कहना है कि देश के पीएम की डिग्री के बारे में देश की जनता को मालूम होना चाहिए। इसी को लेकर 2016 से केजरीवाल लगातार कोशिश कर रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषक प्रो. अजय कुमार सिंह कहते हैं, ‘ विपक्ष के पास अभी पीएम मोदी को लेकर कोई मुद्दा नहीं है। ऐसे में उनकी डिग्री को लेकर ही अरविंद केजरीवाल राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति करना चाहते हैं। वह जानते हैं कि ऐसा करके उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर अटेंशन मिलेगी। यही कारण है कि वह आने वाले चुनावों में भी इसको लेकर बयानबाजी करेंगे।’
दोषी होने पर केजरीवाल और संजय सिंह को क्या सजा हो सकती है?
इसे समझने के लिए हमने सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता चंद्र प्रकाश पांडेय से बात की। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मानहानि मामले में सजा मिल चुकी है। इसके चलते उनकी सांसदी जा चुकी है। उनके खिलाफ करीब चार साल तक मामला कोर्ट में चला। इसके बाद उन्हें सजा का एलान हुआ। केजरीवाल और संजय सिंह के खिलाफ ये ताजा मामला है। अभी कोर्ट तय करेगी कि ये मानहानि का मामला चलेगा या नहीं?’
उन्होंने कहा, ‘अगर कोर्ट मानहानि का मामला चलाने की मंजूरी देती है तब केजरीवाल और संजय सिंह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इसके बाद दोनों तरफ से बहस चलेगी। इसके बाद कोर्ट का फैसला आएगा। केजरीवाल और संजय अगर दोषी मिलते हैं तो कोर्ट उन्हें सजा सुनाएगी। कुछ मामलों में कोर्ट की तरफ से आरोपी को माफी मांगने के लिए भी बोला जाता है। अगर बिना शर्त केजरीवाल माफी मांग लेते हैं तो संभव है कि दोषी होने के बावजूद उन्हें बरी कर दिया जाए। हालांकि, ये कोर्ट को ही निर्धारित करना होता है। अगर कोर्ट दो साल या इससे अधिक की सजा सुनाती है, तब केजरीवाल और संजय सिंह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। ऐसी स्थिति में केजरीवाल को विधानसभा और संजय सिंह को राज्यसभा की सदस्यता से हाथ धोना पड़ सकता है।’