हिमाचल में भारी बारिश के बाद नदियों में आया उफान काफी विनाशक रहा। कई मकान और दुकानें बह गईं। लोगों की जानें भी गई है और सैकड़ों लोग कई दिन से फंसे हैं। इस बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर हो रहा है। यह तबाही की तस्वीर है जिसमें दिखाई देता है कि नदी ने कचरा पुल पर छोड़ दिया है।
नई दिल्ली – चप्पलें, प्लास्टिक की खाली बोतलें, पन्नी, खाने-पीने के सामान के खाली पैकेट, कपड़े, लकड़ी के टुकड़े और भी बहुत कुछ… नदी ने हमें हमारा सामान वापस कर दिया है। जी हां, आईएफएस अधिकारी प्रवीण कासवान ने एक वीडियो शेयर किया है जो हिमाचल प्रदेश बाढ़ का माना जा रहा है। वीडियो एक पुल का है जो कूड़े-कचरे से भरा दिखता है। 29 सेकेंड का वीडियो देखने के बाद ऐसा लगता है जैसे नाराज उफनाई नदी ने पुल के ऊपर तक हिलोरें मारकर हम इंसानों का फैलाया कचरा हमें वापस कर दिया है। लाखों लोग इस वीडियो को देख चुके हैं। कुछ कचरा तो घर के अवशेष लगते हैं। इस वीडियो को जिसने रिकॉर्ड किया, वह कहता है, ‘ओह भाई साहब, मौत अगर देखनी हो तो यहां देखो।’
मैदानी लोग सिर्फ मौज के लिए जाते हैं पहाड़
पुल के नीचे नदी के पानी का शोर डराने वाला होता है। आजकल पहाड़ी राज्यों में ट्रेंड्स बनता जा रहा है कि आसपास के मैदानी इलाकों के लोग टूरिज्म के नाम पर बेरोकटोक गंदगी फैलाते हैं। दरअसल पहाड़ हो या जंगल, वहां के स्थानीय निवासियों को उसकी अहमियत ज्यादा पता होती है। शहर से गए लोग सिर्फ आनंद के लिए वहां पहुंचते हैं। पर्यटन अपनी जगह है लेकिन इसके नाम पर संसाधनों के साथ खिलवाड़ की इजाजत नहीं दी जा सकती है। यह वीडियो यही संदेश दे रहा है।
नदी कूड़ा लेकर चलने को मजबूर
कई लोगों ने इस वीडियो को देखने के बाद लिखा, प्रकृति-1 और इंसान- 0 ही रिजल्ट आखिर में होता है। भीम ने लिखा, ‘तेरा तुझको अर्पण… वाले अंदाज में गंदगी वापस लौटा दी।’ अजय सिंह ने अफसोस जताते हुए कहा कि मुझे हैरानी हो रही है कि नदी अपने साथ कितना कूड़ा लेकर चलने को मजबूर होती है। एक यूजर ने लिखा कि ये कई किलो है। मंजूनाथ ने ट्विटर पर लिखा कि हर बार बाढ़ के बाद ऐसा नजारा देखने को मिलता है फिर भी कुछ नहीं बदलता है। हम कूड़े का ठीक तरह से निपटारा नहीं करते। लिज मैथ्यू ने कहा कि सबक सीखने के लिए हमें और कितनी आपदा की जरूरत है?
हिमाचल में भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन के चलते अलग-अलग राज्यों के सैकड़ों लोग फंसे हुए हैं। वहां दुर्घटनाओं में 31 लोगों की मौत हुई है। 1300 सड़कों पर यातायात प्रभावित हुआ है और 40 बड़े पुलों को नुकसान पहुंचा है। कुल्लू के सैंज इलाके में ही 40 दुकानें और 30 मकान बह गए। सरकारी स्कूलों को 15 जुलाई तक बंद रखा गया है।