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इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक घोटाला – 17 साल पुराने मामले की जांच फिर से शुरू

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रायपुर – छत्तीसगढ. में भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में 2006 में इंदिरा प्रियदर्शनी महिला नागरिक सहकारी बैंक में हुए कथित घोटाले की जांच फिर से शुरू करने की अदालत की अनुमति के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को कहा कि मामले से संबंधित दस्तावेजों का अध्ययन करने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी. रायपुर में संवाददाताओं से बातचीत में बघेल ने कहा कि खाताधारकों की गाढ.ी कमाई हड़पने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और उनसे ठगा हुआ धन वापस दिलाने का प्रयास किया जाएगा.

घोटाले की जांच के बारे में सवाल करने पर बघेल ने कहा, ”जांच में जो लोग दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. अदालत ने इसकी आगे की जांच के आदेश दिए हैं. हमारे पुलिस अधिकारी मामले से संबंधित फाइलों को देख रहे हैं और उनके आधार पर आगे की कार्रवाई होगी.” उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है कि जिन मजदूरों, किसानों, छोटे व्यापारियों की मेहनत की गाढ.ी कमाई इस घोटाले में डूब गई थी, वह उन्हें वापस मिलनी चाहिए. मुख्यमंत्री ने वादा किया कि गबन की गई पूरी धनराशि वसूल कर खाताधारकों को लौटा दी जाएगी.

रमन सिंह के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए बघेल ने कहा, ”घोटाला भाजपा शासन के दौरान उजागर हुआ था और आरोपियों का नार्को टेस्ट भी कराया गया था, लेकिन न तो इसकी जांच हुई और न ही खाताधारकों का पैसा वापस किया गया.” बघेल ने पिछले सप्ताह ट्वीट किया था, ”माननीय न्यायालय ने जनता की गाढ.ी कमाई के पैसों के गबन के प्रियदर्शनी बैंक घोटाले की जांच की अनुमति दे दी है.

नार्को टेस्ट में प्रमुख अभियुक्तों में से एक उमेश सिन्हा ने बताया था कि उसने तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनके मंत्रियों अमर अग्रवाल, बृजमोहन अग्रवाल व रामविचार नेताम सहित कई भाजपा नेताओं को करोड़ों रुपए दिए थे. बैंक संचालकों सहित कई अन्य लोगों को भी पैसे दिए गए. भ्रष्टाचार उजागर होना चाहिए. दोषियों को सजा मिलनी ही चाहिए.” पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि 2006-07 में सहकारी बैंक में लगभग 22 करोड़ रुपये का घोटाला उजागर होने के बाद रायपुर पुलिस ने मामला दर्ज किया था और तत्कालीन बैंक प्रबंधक उमेश सिन्हा सहित 11 लोगों को गिरफ्तार किया था.

उन्होंने बताया कि जांच के बाद अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया गया और सभी 11 आरोपी फिलहाल जमानत पर जेल से बाहर हैं.
पुलिस अधिकारी ने बताया कि हाल ही में राज्य के उप महाधिवक्ता ने अदालत में एक आवेदन देकर मामले की दोबारा जांच कराने की मांग की थी. उन्होंने बताया कि अदालत के आदेश के बाद रविवार को नार्को टेस्ट, एफएसएल रिपोर्ट और मामले के अन्य दस्तावेज रायपुर पुलिस को सौंप दिए गए.