नीतीश कुमार तमिलनाडु जाते-जाते रुक गए। इससे पहले 12 जून को विपक्षी दलों की बैठक होते-होते रुक गई। अब 23 जून को बैठक होते-होते कई बैठकें होंगी। बेवजह नहीं है यह सब।
पटना – मुख्यमंत्री नीतीश कुमार केंद्र का मौजूदा सरकार के खिलाफ नेता बनना तय नहीं है लेकिन, वह इसके अगुवा जरूर बन गए हैं। जो अगुवा होता है, झेलता ही है। मौके पर बीमार भी पड़ जाता है। रूठता-मनाता भी है। नीतीश कुमार इसी स्थिति में हैं। वह मंगलवार को तमिलनाडु जाते-जाते रुक गए। इससे पहले 12 जून को विपक्षी दलों की बैठक होते-होते रुक गई। अब 23 जून को बैठक होते-होते कई बैठकें होंगी। 12 जून की बैठक रद्द होने की वजह भी कांग्रेस थी और अब भी जो हो रहा है, जिम्मेदार वही है। कैसे, यह समझें तो इस बात का अनुमान लगाना मुश्किल नहीं होगा कि विपक्षी दलों को मैनेज करना कितना मुश्किल है या होने वाला है।
कांग्रेस से कई दलों को परेशानी
राष्ट्रीय दलों का क्षेत्रीय दलों से रिश्ता बदलता रहता है। कांग्रेस और भाजपा के साथ यह देखा जाता रहा है। जहां तक विपक्षी दलों के बीच संबंध का सवाल है तो कांग्रेस के साथ भी यही होता रहा है। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच झंझट जगजाहिर है। एक तरफ विपक्षी एकता को लेकर होने वाली बैठक की तारीख नजदीक आ रही है तो दूसरी तरफ यह तनाव घटने की जगह बढ़ता रहता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बात कर ही आगे बढ़े, लेकिन जब-तब कांग्रेस-तृणमूल के बीच गतिरोध की खबरें आ ही रही हैं। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के साथ भी कांग्रेस का यही रिश्ता है। स्टालिन की कांग्रेस से नाराजगी भी जगजाहिर है। हालांकि, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री देर शाम विपक्षी एकता की बैठक में शामिल होने की पुष्टि कर दी।
ममता को मैनेज करेंगे लालू प्रसाद
ममता बनर्जी 23 जून को विपक्षी एकता के लिए पटना की बैठक में रहेंगी, लेकिन उन्हें मैनेज करने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष व पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद को उठानी पड़ रही है। कांग्रेस को मैनेज करने में भी लालू की अहम भूमिका रही है। 23 जून को राहुल गांधी विपक्षी दलों की बैठक से पहले कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय में अपनी पार्टी के लोगों से मिलेंगे तो इधर इसी बैठक से पहले ममता बनर्जी की लालू प्रसाद से मुलाकात होगी। लालू-ममता की मुलाकात के दौरान नीतीश भी रह सकते हैं। मुलाकात का एजेंडा ही है कि कांग्रेस के साथ तृणमूल का बाकी मामलों में जैसा भी रिश्ता हो, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ एकजुटता में कमी नहीं आए।
स्टालिन के लिए फ्रंट पर क्यों तेजस्वी यादव
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन अबतक विपक्षी एकता की बैठक से दूरी बनाए रखने पड़ अड़े हैं। कांग्रेस इसकी एक बड़ी वजह है। स्टालिन के साथ बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का रिश्ता इधर अच्छा है। वह स्टालिन के जन्मदिन पर भी जा चुके हैं। तमिलनाडु ने बिहार के यूट्यूबर मनीष कश्यप के खिलाफ एक्शन चाहा तो तेजस्वी यादव ने उसमें भी सक्रियता दिखाई, हालांकि आरोप यह भी रहा कि तेजस्वी के कारण ही तमिलनाडु ने उसे टारगेट किया। वह बात फिलहाल दरकिनार है, लेकिन मंगलवार को जब नीतीश कुमार तमिलनाडु नहीं गए तो चर्चा चल निकली कि स्टालिन अपनी जिद पर रहेंगे, इसलिए उड़ीसा की तरह तमिलनाडु से नीतीश कुमार खाली हाथ नहीं लौटना चाहते हैं। नीतीश के बीमार होने की जानकारी दी गई, लेकिन विपक्षी एकता को लेकर मुख्यमंत्री जिस तरह से अभियान चला रहे हैं- तबीयत बहुत मायने नहीं रखती है।