तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में डीएमके सरकार में बिजली मंत्री वी सेंथिल बालाजी के घर पर मंगलवार (13 जून) को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छापेमारी हुई। इसके बाद देर रात ED ने सेंथिल को अपनी कस्टडी में ले लिया। कस्टडी में लिए जाने के बाद सेंथिल फूट-फूटकर रोने लगे। इसके बाद उन्होंने सीने में दर्द की शिकायत की।
नई दिल्ली – आनन-फानन में ED के अधिकारी सेंथिल बालाजी को सरकारी अस्पताल लेकर आए। अस्पताल पहुंचने के बाद भी सेंथिल रोते हुए दिखे। इसका वीडियो भी खूब वायरल हो रहा है। सेंथिल को आईसीयू में भर्ती कराया गया है। आइए जानते हैं कि सेंथिल बालाजी हैं कौन? उनके घर ED ने क्यों छापेमारी की? पूरा मामला क्या है? विपक्ष ने क्यों समर्थन दिया?
पहले जानिए क्या-क्या हुआ?
तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम ने राज्य के बिजली मंत्री वी सेंथिल के घर और कई ठिकानों पर एक साथ छापेमारी शुरू कर दी। करीब 10 घंटे तक चली छापेमारी के बाद ED ने सेंथिल को कस्टडी में ले लिया। इसकी खबर वायरल होते ही डीएमके के समर्थक आग बबूला हो गए।
उधर, सेंथिल भी फूटफूटकर रोने लगे। बाद में उन्हें सीने में दर्द की शिकायत पर सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां अभी उनका इलाज चल रहा है। इस बीच, सेंथिल से मिलने के बाद बड़ी संख्या में डीएमके के नेता और कैबिनेट मंत्री भी अस्पताल पहुंचे। जिस अस्पताल में बालाजी को भर्ती कराया गया है, वहां केंद्रीय अर्धसैनिक बल के जवानों को तैनात किया गया है।
सेंथिल के समर्थन में देशभर के अन्य विपक्षी दलों ने ट्विट किया। सभी ने एक स्वर में इस छापेमारी को भाजपा की साजिश करार दिया। तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कहा, हम इस पूरी प्रक्रिया से कानूनी तौर पर निपटेंगे हम बीजेपी की धमकी भरी राजनीति से नहीं डरते हैं। वहीं, डीएमके के राज्यसभा सांसद और वकील एनआर एलंगो ने उनकी गिरफ्तारी पर कानूनी प्रक्रिया की पालन नहीं किए जाने का आरोप लगाया।
कौन हैं सेंथिल बालाजी?
47 साल के सेंथिल बालाजी तमिलनाडु की डीएमके-कांग्रेस गठबंधन सरकार में बिजली मंत्री हैं। सेंथिल का जन्म 21 अक्तूबर 1975 को करूर में हुआ। सेंथिल ने गवर्नमेंट एआरटीएस कॉलेज करूर से पढ़ाई की है। 1997 से सेंथिल ने राजनीति में कदम रखा। पहली बार उन्होंने निकाय चुनाव लड़ा और लोकल बॉडी के सदस्य चुने गए। 2011 से 2015 के बीच वह तमिलनाडु सरकार में परिवहन मंत्री भी रहे।
अब जानिए ED ने सेंथिल के यहां क्यों छापेमारी की?
प्रवर्तन निदेशालय (ED) धनशोधन के एक मामले की जांच कर रही है। इसी सिलसिले में करूर जिले से ताल्लुक रखने वाले द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के कद्दावर नेता बालाजी से जुड़े परिसरों पर मंगलवार को छापेमारी की थी। उच्चतम न्यायालय ने बालाजी के खिलाफ कथित ‘नौकरी के बदले नकदी’ घोटाले में पुलिस और ED को जांच की अनुमति दी थी, जिसके कुछ महीने बाद यह कार्रवाई की गई।
सेंथिल के समर्थन में क्यों आया विपक्ष?
इसे समझने के लिए हमने राजनीतिक विश्लेषक प्रो. अजय कुमार सिंह से बात की। प्रो. सिंह ने कहा, ‘इस वक्त देश की सियासत में तमिलनाडु की अहम भूमिका है। तमिलनाडु देश के उन पांच राज्यों में शुमार है, जहां लोकसभा की सबसे ज्यादा सीटें हैं। यहां लोकसभा की 39 सीटें हैं। अभी सूबे में डीएमके और कांग्रेस गठबंधन की सरकार है। ऐसे में भाजपा ने भी यहां पूरी ताकत झोंक दी है।’
‘पिछले छह महीने के अंदर तमिलनाडु की देश में काफी चर्चा हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने काशी तमिल संगमम का आयोजन करवाया। इसके अलावा नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में भी तमिलनाडु के संतों ने पूजन किया। तमिल की संस्कृति से जुड़ी सेंगोल को संसद भवन में रखा गया। कुल मिलाकर भाजपा ने तमिलनाडु पर काफी फोकस किया है।’
प्रो. सिहं आगे कहते हैं, ‘तमिलनाडु सरकार पर कई तरह के गंभीर आरोप लगे हैं। बिजली मंत्री धन शोधन मामले में फंसे हुए हैं और इस मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने ही आदेश दिया है। भाजपा जानती है कि इस मामले में को 2024 चुनाव के दौरान मुद्दा बनाया जा सकता है।’
उन्होंने कहा, ‘तमिलनाडु में भाजपा के मजबूत होने का मतलब है कि डीएमके, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का कमजोर होना। विपक्षी दल अभी राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट होने की कोशिश में जुटे हैं। विपक्ष के ज्यादातर नेता किसी न किसी मामले में फंसे हुए हैं। विपक्ष लगातार एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगा रहा है। ऐसे में जाहिर है कि ये दल तमिलनाडु के बिजली मंत्री के पक्ष में खड़े हैं। इसके जरिए पूरा विपक्ष ये बताने की कोशिश करेगा कि भाजपा की केंद्र सरकार जानबूझकर विपक्षी दलों के नेताओं को टारगेट कर रही है।’