नई दिल्ली – समीर वानखेड़े, एनसीबी के पूर्व अधिकारी, जिन्होंने शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को एक ड्रग्स केस में गिरफ्तार कर खूब सुर्खियां बटोरी थी, दिन रात खबरों में छाए थे, लेकिन अब जो कहानी निकलकर सामने आ रही है, उससे समीन वानखेड़े की असलियत सामने आती जा रही है।
दरअसल आर्यन खान का केस, शाहरुख खान से 25 करोड़ वसूलने के लिए था। इसमें समीर वानखेड़े के खिलाफ सीबीआई एफआईआर दर्ज कर चुकी है और छापे भी मार चुकी है।
केपी गोसावी का ‘खेल’
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के पूर्व जोनल निदेशक समीर वानखेड़े के खिलाफ सीबीआई ने इस मामले में केस दर्ज किया है। इस एफआईआर के अनुसार अभिनेता शाहरुख खान के परिवार को धमकी दी गई थी कि उनके बेटे आर्यन को नशीले पदार्थों के मामले में फंसाया जाएगा, अगर वो आर्यन को बचाना चाहते हैं तो 25 करोड़ रुपये देने पड़ेंगे। स्वतंत्र गवाह केपी गोसावी, जिसकी आर्यन खान के साथ सेल्फी वायरल हुई थी, ने कथित तौर पर एनसीबी के तत्कालीन जोनल निदेशक समीर वानखेड़े की ओर से शाहरुख खान से 25 करोड़ रुपये वसूलने की कोशिश की थी। गोसावी को सीबीआई की प्राथमिकी में आरोपी नंबर एक के रूप में नामित किया गया है।
कौन कौन हैं आरोपी
सीबीआई ने 2008 बैच के आईआरएस अधिकारी समीर वानखेड़े, एनसीबी के अधीक्षक वीवी सिंह और आर्यन खान ड्रग्स मामले में तत्कालीन जांच अधिकारी आशीष रंजन को केपी गोसावी और उनके सहयोगी डिसूजा के साथ मामले में आरोपी बनाया है। सीबीआई के मुताबिक, वानखेड़े और अन्य ने आर्यन खान को ड्रग भंडाफोड़ मामले में फंसाने के लिए कथित तौर पर 25 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी थी।
FIR में क्या है
सीबीआई की एफआईआर में कहा गया है कि समीर वानखेड़े ने केपी गोसावी और प्रभाकर सेल को आरोपी के खिलाफ कार्यवाही में स्वतंत्र गवाह के रूप में लेने का निर्देश दिया था और वी.वी. सिंह ने केपी गोसावी को एनसीबी कार्यालय ले जाते समय आरोपी को संभालने दिया। प्राथमिकी के अनुसार, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के विशेष जांच दल (एसईटी) द्वारा की गई जांच से पता चला है कि आरोपी व्यक्तियों (आर्यन खान सहित) को स्वतंत्र गवाह के पी गोसावी के निजी वाहन में एनसीबी कार्यालय लाया गया था।
कई नियमों के उल्लघंन
सीबीआई की एफआईआर में आगे कहा गया है कि ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपी व्यक्तियों के आसपास स्वतंत्र गवाह केपी गोसावी की उपस्थिति जानबूझकर इस तरह से बनाई गई थी ताकि यह आभास दिया जा सके कि केपी गोसावी एक एनसीबी कर्मी था, स्वतंत्र गवाह केपी गोसावी को आरोपी व्यक्तियों के साथ उपस्थित होने की अनुमति दी गई थी और यहां तक कि छापे के बाद एनसीबी कार्यालय में आने की अनुमति दी गई थी, जो एक स्वतंत्र गवाह के लिए मानदंडों के खिलाफ है।
18 करोड़ में हुई थी डील
आर्यन की गिरफ्तारी के बाद उनके परिवार वालों से 25 करोड़ रुपये मांगे गए। ये डील 18 करोड़ पर फाइनल हुई, जिसके बाद 50 लाख रुपये एडवांस में भी दिए गए। इसके बाद NCB द्वारा की गई आंतरिक जांच में स्वतंत्र रूप से समीर वानखेड़े और आशीष रंजन के आपराधिक कदाचार और भ्रष्ट आचरण के आरोपों का खुलासा हुआ है। इनकी संपत्ति भी जांच के दायरे में आई। वानखेड़े अपने विदेशी दौरों का भी हिसाब सही से नहीं दे पाए हैं। सतर्कता रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई द्वारा प्रारंभिक जांच के बाद वानखेड़े के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज करने के बाद इस मामले में समीर वानखेड़े के घर और कार्यालय सहित 30 परिसरों पर छापेमारी भी की है।