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इंशाअल्लाह, सबका हिसाब शुरू कर दूँगा… जेल से ही रंगदारी का रैकेट चलाता था अतीक अहमद, एक चैट पर पहुँच जाते थे करोड़ों: कारोबारियों को लेनी होती थी पर्ची

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प्रयागराज – प्रयागराज का सबसे बड़ा माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या हो गई। कई महीनों से वो गुजरात के साबरमती जेल में बंद था। वहीं से उसने उमेश पाल की हत्या की साजिश रची और इसे अंजाम दिया। अब ये खुलासा हुआ है कि वो वहाँ से ही वसूली का रैकेट भी चला रहा था। चैट से खुलासा हुआ है कि बेटों के जरिए उसने गुंडागर्दी जारी रखी थी। एक बिल्डर से उसने 5 करोड़ रुपए की रंगदारी माँगी थी और इसमें से 80 लाख रुपए उसे मिल भी गए थे।

बड़ी बात ये है कि इसी रकम का इस्तेमाल उमेश पाल हत्याकांड को अंजाम देने के लिए किया गया। यानी, जेल से ही रंगदारी का रैकेट चल रहा था। चैट में ही उसने कहा था कि उसकी गुंडागर्दी वाली विरासत को उसके बेटे आगे बढ़ाएँगे। उसे लिखा था, “मेरे बेटे न डॉक्टर बनेंगे न इंजीनियर। इंशाअल्लाह, जल्द हिसाब शुरू कर दूँगा।” बिल्डर को उसने धमकाया, “ईडी-ईडी करते हो। ED ने आपके पैसे जब्त नहीं किए हैं। अच्छा है पैसे दे दो।”

उसने आगे लिखा था, “कम लफ्जों को ज़्यादा समझो। मैं मरने वाला नहीं हूँ। इंशाल्लाह एक्सरसाइज करता हूँ। दौड़ता हूँ। बेहतर है कि मुझसे आकर मिल लो – साबरमती जेल, गुजरात।” 6 साल से जेल में बंद होने का बवजूद उसने अपना अपराध का साम्राज्य बनाए रखा था। एक फोन या चैट से डर के मारे लोग उसे रंगदारी देने को राजी हो जाते थे। अब इस बात की जाँच होगी कि आखिर जेल में उसे फोन मुहैया कराई किन-किन लोगों ने, कौन-कौन उसके मददगार थे।

अतीक अहमद को उसके एनकाउंटर का डर था, लेकिन मारा गया उसके बेटा असद। एक चैट में उसने लिखा था कि सबका हिसाब होना है। अतीक अहमद हमेशा से चुनाव लड़ने के लिए बिल्डरों और कारोबारियों से रंगदारी लेता रहा है। ‘गुंडा टैक्स वसूली’ की पर्ची भी उसके द्वारा जारी की जाती थी। एक गुलाबी पर्ची होती थी जिसका रेट 3 से 5 लाख रुपए तक था, एक सफ़ेद पर्ची होती थी इससे ज्यादा रकम की। एक बिल्डर अतीक अहमद के डर से 2007 में प्रयागराज छोड़ लखनऊ चला गया था।

हाथ में राइफल लिए अतीक अहमद की तस्वीर भी सामने आई है, जिसका इस्तेमाल शूटर साबिर ने उमेश पाल हत्याकांड में किया था। इस तस्वीर में वो बेटे उमर के साथ खड़ा दिख रहा है। इधर SIT ने अतीक अहमद-अशरफ हत्याकांड की जाँच शुरू कर दी है। चैट में अतीक अहमद ने ये भी लिखा था, “मुस्लिम साहब, पूरे इलाहबाद में बहुतों ने हमसे फायदा उठाया है लेकिन सबसे ज्यादा तुम्हारे घर ने उठाया है। आज हमारे खिलाफ FIR लिखा रहे हैं और पुलिस के साये में काम कर रहे हैं।” उसने लिखा था, “आपको आखिरी बार समझा रहे हैं। बहुत जल्दी हालात बदल रहे हैं। मैंने सब्र कर लिया है।”