दुर्ग – खाली पड़े प्लाट में अक्सर कचरे का ढेर जमा होने लगता है और इसकी वजह से साफ-सफाई की व्यवस्था बिगड़ती है। यहां साफ-सफाई सुनिश्चित कराने की जिम्मेदारी प्लाट मालिक की होगी। यदि गंदगी पाई जाती है तो प्लाट मालिक पर जुर्माना लगाया जाएगा। कलेक्टर ने एसडीएम से यह सुनिश्चित करने कहा। साथ ही उन्होंने कहा कि स्वच्छता सर्वेक्षण ग्रामीण इलाकों में और शहरी इलाकों में होना है। ग्रामीण इलाकों में 26 गांवों को माडल गांवों के रूप में चिन्हांकित किया गया है। यहां संपूर्ण स्वच्छता हो और इनके नमूनों पर अन्य गांवों में भी स्वच्छता हो सके, यह स्वच्छ भारत अभियान की टीम सुनिश्चित करें। शहरी क्षेत्रों में उन्होंने हर दिन एक अनूठा अभियान लेकर साफ -सफाई कराने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि मच्छरों की रोकथाम के लिए जो अभियान चलाया जा रहा है उसमें तालाबों और नालों की सफाई भी की जानी है। तालाबों की सफाई के दौरान यह ध्यान रखें कि तालाब के भीतर झाडिय़ों की सफाई भी करें क्योंकि अक्सर यहां पर मच्छरों के स्रोत होते हैं। बैठक के दौरान जिला पंचायत सीईओ अश्विनी देवांगन, भिलाई निगम आयुक्त रोहित व्यास, डीएफओ शशि कुमार, एसडीएम लक्ष्मण तिवारी एवं अन्य अधिकारी मौजूद थे।
ऐतिहासिक बिल्डिंग होंगी रोशन, फ्लाईओवर के पिलर्स भी वर्टिकल प्लांटेशन से और रोशनी से जगमगाएंगे
कलेक्टर ने बैठक में कहा कि हमारी ऐतिहासिक धरोहर हमारा अभिमान हैं। रात को भी ये रोशन रहें, इसके लिए अच्छी जगमगाहट करें। सभी निगम आयुक्तों ने इस बारे में अपनी तैयारी के बारे में बताया। इसके अलावा रोप लाइटिंग के भी निर्देश कलेक्टर ने दिये। फ्लाईओवर में वर्टिकल प्लांटेशन की संभावनाओं पर काम करने भी उन्होंने कहा। डिवाइडर्स पर पाम ट्री आदि लगाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों के सभी सड़कों पर व्यापक प्लांटेशन का कार्य किया जाएगा। शहर जितने हरे-भरे होते हैं उतने ही सुंदर दिखते हैं।
भूमिगत जल को लेकर किये सर्वे के आये रिपोर्ट, अब यहां वाटर रिचार्ज को लेकर होगा काम
कलेक्टर ने बीती बैठक में ऐसे गांवों का चिन्हांकन करने के निर्देश दिये थे जहां वाटर लेवल काफी नीचे चला जाता है। इसकी रिपोर्ट आई है और जिले में ऐसे 41 गांव हैं जहां भूमिगत जल 80 मीटर के नीचे चला जाता है। इनमें दुर्ग के 22, धमधा के 9 और पाटन के 10 गांव शामिल हैं। यहां पर भूमिगत जल के रिचार्ज के तरीकों पर प्रशासन काम करेगा, इसके लिए आवश्यक निर्देश आज कलेक्टर ने बैठक में दिये।
स्पेशल प्लांट्स अब दूसरे राज्यों से मंगवाने की जरूरत नहीं, नर्सरी में लगाए जाएंगे पौधे, डीएमएफ से दी गई राशि
उद्यानिकी विभाग को स्पेशल प्लांट्स की नर्सरी तैयार करने डीएमएफ से राशि उपलब्ध कराई गई है। इससे दूसरे राज्यों से स्पेशल पौधे मंगवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। डीएमएफ से 70 लाख रुपए से आम, अमरूद, नींबू, ड्रैगनफ्रूट और केला बड़े पैच में तैयार होंगे।