कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने अंशधारकों के लिए उच्च पेंशन का विकल्प चुनने के लिए 3 मई की समयसीमा तय की है। सुप्रीम कोर्ट ने 4 नवंबर को उन कर्मचारियों को एक और बदलाव की अनुमति दी थी जो 1 सितंबर 2024 तक मौजूदा ईपीएस सदस्य रहेंगे। वे पेंशन के लिए अपने वास्तविक वेतन का 8.33 प्रतिशत तक योगदान कर सकते हैं यदि पेंशन योग्य वेतन का 8.33 प्रतिशत प्रति माह 15,000 रुपये प्रति माह है।
शीर्ष अदालत ने उच्च पेंशन का विकल्प चुनने के लिए चार महीने का समय दिया था। यह समय सीमा 3 मार्च, 2023 के को समाप्त होनी थी। लेकिन ईपीएफओ ने पिछले सप्ताह ही कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) के तहत उच्च पेंशन का विकल्प चुनने की प्रक्रिया शुरू की। इसके बाद आशंका जताई जा रही थी कि ईपीएफओ ने इस मामले में फैसला लेने में देरी कर दी है ऐसे में इसकी समयसीमा बढ़ाई जा सकती है।
ईपीएफओ ने अपनी वेबसाइट पर कहा, ‘जो कर्मचारी एक सितंबर 2014 से पहले सेवा में थे और एक सितंबर 2014 को या उसके बाद सेवा में बने रहे, लेकिन कर्मचारी पेंशन योजना के तहत संयुक्त विकल्प का इस्तेमाल नहीं कर सके हैं वे अब 3 मई 2023 को या उससे पहले ऐसा कर सकते हैं।
वर्तमान में, कर्मचारी और नियोक्ता दोनों कर्मचारी के मूल वेतन, महंगाई भत्ते और रिटेनिंग भत्ते, यदि कोई हो, का 12 प्रतिशत कर्मचारी भविष्य निधि या ईपीएफ में योगदान करते हैं। कर्मचारी का पूरा योगदान ईपीएफ में जाता है, जबकि नियोक्ता द्वारा 12 प्रतिशत योगदान ईपीएफ में 3.67 प्रतिशत और ईपीएस में 8.33 प्रतिशत के रूप में विभाजित किया जाता है।
भारत सरकार एक कर्मचारी की पेंशन में 1.16 प्रतिशत का योगदान करती है, जबकि कर्मचारी पेंशन योजना में योगदान नहीं करते हैं। ईपीएफओ ने कहा, ‘ज्वाइंट ऑप्शन फाइल करने के लिए ऑनलाइन सुविधा जल्द ही आ रही है। इससे पहले, ऐसी आशंकाएं थीं कि 3 मार्च, 2023 उच्च पेंशन का विकल्प चुनने की अंतिम तिथि है।