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डॉक्टरों का कैंडल मार्च: कहा- ‘तुम तो धोखेबाज हो, वादा करके भूल जाते हो’; पिता को बेटी के लिए दुआओं का सहारा

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रायपुर – छत्तीसगढ़ में पांच दिन से करीब 3000 जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं। मानदेय में वृद्धि नहीं होने के चलते लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। जगदलपुर स्थित डिमरापाल मेडिकल कॉलेज के 130 से ज्यादा जूनियर डॉक्टरों ने हाथों में कैंडल लेकर नेशनल हाईवे पर मार्च निकाला। इस दौरान डॉक्टरों ने बॉलीवुड सॉन्ग गाया, ‘तुम तो धोखेबाज हो, वादा करके भूल जाते हो’। डॉक्टरों की इस हड़ताल के चलते स्वास्थ्य सेवाएं ध्वस्त हो गईं हैं।

जगदलपुर में डॉक्टरों ने निकाला कैंडल मार्च।
जगदलपुर में डॉक्टरों ने निकाला कैंडल मार्च
मुख्यमंत्री के सामने रखेंगे मान
डाक्टर पुष्पराज प्रधान ने बताया कि मेकाज में काम करने वाले सभी इंटर्न, पीजी, एसआर, बोंडेड डॉक्टर हड़ताल पर हैं। इन्हें दूसरे राज्यों के अपेक्षा कम मानदेय दिया जा रहा है। उन्होंने आपातकालीन सेवाओं में भी ड्यूटी करने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार मांगे पूरी नहीं करती हड़ताल जारी रहेगी। वह पहले स्वास्थ्य मंत्री से मिले थे। अब मुख्यमंत्री से मिलकर उनके सामने अपनी मांगों को रखेंगे।
अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री से करेंगे मुलाकात।
अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री से करेंगे मुलाकात
चार सालों से मानदेय में नहीं हुई वृद्धि
प्रदेश में नौ मेडिकल कॉलेज हैं। जूनियर डॉक्टरों की इस हड़ताल में इन कॉलेजों के अस्पतालों में कार्यरत जूनियर डॉक्टर्स, इंटर्न, बोंडेड डॉक्टर्स और मेडिकल कॉलेज के छात्र शामिल हैं। इनका कहना है कि पिछले चार सालों से छात्रों के मानदेय में बढ़ोतरी नहीं की गई है। अभी तक हाथों में काली पट्टी बांधकर काम कर रहे थे। सरकारी अस्पतालों में ज्यादातर काम जूनियर डॉक्टर और इंटर्न के भरोसे रहता है।
केशकाल से लड़की को लाकर अस्पताल में किया गया है भर्ती।
केशकाल से लड़की को लाकर अस्पताल में किया गया है भर्ती
केशकाल से लाकर बेटी को किया है भर्ती
वहीं दूसरी ओर जगदलपुर मेडिकल कॉलेज के फीमेल वार्ड में केशकाल की 17 साल की सरिता भर्ती है। उसके पिता अब प्रार्थना कर रहे हैं कि डॉक्टरों की हड़ताल जल्द खत्म हो। उनको बेटी के लिए अब दुआओं का सहारा है। सरिता के पिता जैलू राम मंडावी ने बताया कि वह पेशे से किसान हैं। उनकी दो बेटियो में सरिता छोटी है। गुरुवार को सरिता के गले में सूजन आ गई। इसके चलते उसे अस्पताल में भर्ती किया था।
मेकाज में जो मरीज भर्ती हैं, उन्हें देखने के लिए डॉक्टर नहीं हैं।
मेकाज में जो मरीज भर्ती हैं, उन्हें देखने के लिए डॉक्टर नहीं हैं
डॉक्टरों की मांग मान ले सरकार
उन्होंने बताया कि सरिता के पैर में सूजन थी, लेकिन बाद में गले और शरीर के अन्य हिस्सों में फैल गई। पहले कोंडागांव में भर्ती किया, जहां से बेहतर उपचार के लिए मेकाज भेज दिया गया। यहां लाए तो डॉक्टर हड़ताल पर चले गए। उन्होंने कहा कि वे रोज प्रार्थना कर रहे हैं कि सरकार इन डॉक्टरों की मांग मान ले, जिससे हड़ताल खत्म हो। उनकी बेटी का इलाज हो सके और वह जल्द ठीक हो जाए।
मेकॉज में खाली पड़े हैं वार्ड
मेकाज के 600 बिस्तर वाले अस्पताल में अधिकतर वार्ड खाली पड़े है। कई मरीजों को भी छुट्टी दे दी गई है। तमाम मरीज खुद ही छुट्टी लेकर घर जा रहे हैं और बैगा का सहारा ले रहे हैं। हड़ताल का असर वार्डो में भर्ती गंभीर मरीजों के लिए देखने को मिल रहा है। सीनियर डॉक्टर एक बार देखने के बाद चले जाते हैं। इसके बाद सिर्फ कॉल करने पर ही वार्ड में आते हैं। नर्स ही मरीजों को दवाएं लिख रही हैं।अमर उजाला