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☹️ झंगलू :- भइया मंगलू , जनहित के एक मुद्दा ला ले के मैं अनिश्चितकालीन धरना में बइठना चाहत हंव ** जब तक मांग पूरा नइ होहि , नइ उठंव
😜 मंगलू :- सोंच समझ के बइठबे झंगलू । कई बार बेइज्जती टाइप हो जथे * सही रिस्पांस नइ मिलय तो बहाना बना के उठना पड़ जथे । शुरू शुरू में साथ देने वाला बहुत झन मिलथें * कुछ दिन बाद कन्नी काटना अउ कल्टी खाना शुरू कर देथें
विजय मिश्रा
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