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कांग्रेस के लिए ‘नया नियम’: एक न्यायाधीश की अल्पमत की टिप्पणी न्यायालय का फैसला : रिजीजू

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नई दिल्ली – नोटबंदी के फैसले को उच्चतम न्यायालय द्वारा सही ठहराए जाने के बाद विपक्षी नेताओं की ओर से इस फैसले को तवज्जो ना देने पर केंद्रीय विधि मंत्री किरेन रीजीजू ने सोमवार को कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह इस मुद्दे को ‘तोड़-मरोड़कर’ पेश करने और लोगों को ‘गलत सूचना’ देने की कोशिश कर रही है.

उन्होंने सिलसिलेवार ट्वीट में 4:1 के बहुमत के फैसले में असहमति के फैसले को सरकार की ‘कलाई पर तमाचा’ के तौर पर पेश करने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम की भी आलोचना की. रीजीजू ने पूर्व वित्त मंत्री पर कटाक्ष करते हुए ट्वीट किया, ‘‘कांग्रेस पार्टी के लिए ‘नया नियम’: एक न्यायाधीश की अल्पमत की टिप्पणी, उच्चतम न्यायालय का फैसला है और चार न्यायाधीशों का फैसला उच्चतम न्यायालय का फैसला नहीं है. वे उच्चतम न्यायालय के अल्पमत के सभी फैसलों को देश के कानून के रूप में सही ठहराएंगे.’’

चिदंबरम ने सोमवार को कहा कि उच्चतम न्यालय के बहुमत के फैसले में इस सवाल का स्पष्ट जवाब नहीं मिला कि क्या नोटबंदी के उद्देश्य पूरे हुए. उन्होंने यह दावा भी किया कहा कि ‘अल्पमत‘ के फैसले ने नोटबंदी में ‘अवैधता’ और ‘अनियमितताओं’ की ओर इशारा किया है. चिदंबरम ने कहा कि नोटबंदी पर असहमति का फैसला ‘‘सरकार की कलाई पर तमाचा’’ (स्लैप आॅन द रिस्ट) है.

रीजीजू ने दावा किया, ‘‘उच्चतम न्यायालय नोटबंदी जैसे फैसले के प्रभाव की कभी जांच नहीं करता. यह सवाल अदालत के विचार के लिए कभी नहीं उठाया जा सकता था, क्योंकि यह अनिवार्य रूप से कार्यपालिका के लिए है.’’ रीजीजू ने कहा कि पी चिदंबरम जानते हैं कि वह राजनीतिक तर्क दे रहे हैं, जब वह कहते हैं कि उद्देश्य पूरे नहीं हुए, क्योंकि न तो बहुमत के फैसले और न ही अल्पमत के फैसले ने उक्त तर्क को स्वीकार किया है.

कानून मंत्री ने कहा, ‘‘मुद्दे को तोड़-मरोड़कर पेश करने और लोगों को गलत सूचना देने की कांग्रेस की कोशिश उजागर हो गई है.’’ उन्होंने कहा कि एक निर्वाचित सरकार की वैध कार्रवाई को विफल करने के उसके ‘दुर्भावनापूर्ण’ प्रयास सफल नहीं होंगे और चिदंबरम फिर से ‘विफल’ हो गए.

उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार के 2016 में 500 और 1000 रुपये की श्रृंखला वाले नोटों को बंद करने के फैसले को सोमवार को 4:1 के बहुमत के साथ सही ठहराया. पीठ ने बहुमत से लिए गए फैसले में कहा कि नोटबंदी की निर्णय प्रक्रिया दोषपूर्ण नहीं थी . हालांकि न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना ने सरकार के फैसले पर कई सवाल उठाए. न्यायमूर्ति एस. ए. नजÞीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि आर्थिक मामले में संयम बरतने की जरूरत होती है. रीजीजू ने कांग्रेस से अनुरोध किया कि वह नागरिकों को गलत सूचना ना दे.

भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी कांग्रेस नेताओं, विशेष रूप से चिदंबरम की आलोचना की. प्रसाद ने चिदंबरम द्वारा न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना की टिप्पणी को रेखांकित करने पर उन्हें आड़े हाथ लिया और आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता बहुमत के फैसले की अनदेखी कर रहे हैं और अपमानजनक बयान दे रहे हैं.

भाजपा नेता ने कहा कि भारत डिजिटल भुगतान के मामले में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बन गया है, जिसे नोटबंदी के बाद बढ़ावा मिला है और देश में इस साल अक्टूबर में ही 12 लाख करोड़ रुपये से अधिक के 730 करोड़ से अधिक डिजिटल लेनदेन हुए हैं. प्रसाद ने कहा कि असहमति जताने वाले न्यायाधीश ने यह भी कहा कि नीति नेक इरादे से बनाई गई थी.

भाजपा नेता ने कहा कि अदालत ने कहा है कि सरकार को नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार है और इस तर्क को खारिज कर दिया कि भारतीय रिजर्व बैंक के साथ उचित परामर्श नहीं किया गया था. कांग्रेस ने नोटबंदी पर आए उच्चतम न्यायालय के बहुमत के एक फैसले को लेकर सोमवार को कहा कि यह निर्णय सिर्फ नोटबंदी की प्रक्रिया पर है, इसके परिणाम एवं प्रभाव पर नहीं है तथा ऐसे में यह कहना गलत है कि सर्वोच्च अदालत ने मोदी सरकार के कदम को जायज ठहराया है.

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि नोटबंदी जैसे ‘विनाशकारी’ कदम के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देश से माफी मांगनी चाहिए. रीजीजू ने कहा कि नोटबंदी के सकारात्मक प्रभावों में आयकर में वृद्धि, काले धन पर अंकुश, जिसने आतंकवाद के वित्तपोषण को ‘बाधित’ किया, फर्जी कंपनियों का खुलासा होना और जरूरतमंदों को सीधे लाभ के हस्तांतरण को बढ़ावा देना शामिल हैं.