रायपुर – आधुनिकता के दौड़ से दूर जंगलों में रहने वाली जनजातियों की अपनी समृद्ध संस्कृति है। विभिन्न जनजातियों के अपने तीज-त्यौहार, लोक नृत्य व गीत भी हैं। इन आदिवासियों की कला और संस्कृति को पहचान दिलाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन छत्तीसगढ़ राज्य के 23वें स्थापना दिवस के अवसर पर एक से तीन नवंबर तक किया जा रहा है। राज्य में राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव का यह तीसरा आयोजन है। महोत्सव का आयोजन राजधानी रायपुर के साइंस कालेज मैदान में होगा।
छत्तीसगढ़ में 42 तरह की जनजातियां रहती हैं
छत्तीसगढ़ राज्य प्राकृतिक संसाधनों से सम्पन्न है। यहां का 44 प्रतिशत भू-भाग वनों से घिरा हुआ है एवं यहां जनजातियों की जनसंख्या राज्य की कुल जनसंख्या का 31 प्रतिशत है। छत्तीसगढ़ राज्य में 42 तरह की जनजातियां निवास करती हैं। इस महोत्सव के माध्यम से जनजाति कलाकारों को अपनी कला प्रदर्शन का अवसर मिलता है।
आपसी मेल-जोल, कला-संस्कृतियों के आदान-प्रदान के लिए महत्वपूर्ण
महोत्सव के माध्यम से राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जनजातीय कलाकारों के बीच उनकी कलाओं की साझेदारी होगी। वे एक-दूसरे के खान-पान, रीति-रिवाज, शिल्प-शैली को भी देख-समझ सकेंगे। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के आयोजन से आदिवासी संस्कृति एवं सभ्यता को अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिल रही है। यह आयोजन देश और पूरी दुनिया के जनजातीय समुदायों के आपसी मेल-जोल, कला-संस्कृतियों के आदान-प्रदान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हो रहा है।
देश-विदेश के 1,500 से अधिक जनजातीय कलाकार हिस्सा लेंगे
राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के लिए देश के सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों सहित 9 देशों के 1500 आदिवासी कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेगें। इन कलाकरों में देश के 1400 और विदेशों के 100 प्रतिभागी शामिल होंगे। आयोजन में मोजांबिक, मंगोलिया, टोंगो, रशिया, इंडोनेशिया, मालदीव, सर्बिया, न्यूजीलैंड और इजिप्ट के जनजातीय कलाकार हिस्सा लेंगे।