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हसदेव में नहीं कटेंगे पेड़; केंद्र और राजस्थान ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- अगली सुनवाई तक नहीं काटेंगी

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हसदेव अरण्य में 27 सितंबर को पुलिस फोर्स की मौजूदगी में वनों की कटाई शुरू करा दी गई थी। इस दौरान स्थानीय ग्रामीणों को पहले ही हिरासत में ले लिया गया था। इससे पहले पेड़ों की कटाई के विरोध में ग्रामीणों ने जमकर हंगामा किया था। जिसके बाद मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सुर्खियां बना।

अंबिकापुर – छत्तीसगढ़ के सरगुजा स्थित हसदवे अरण्य में पेड़ों की कटाई फिलहाल नहीं होगी। केंद्र सरकार और राजस्थान राज्य विद्युत उप्तान निगम ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान इस बात का वादा किया है। सर्वोच्च न्यायालय में अरण्य क्षेत्र में आवंटित कोल ब्लॉकों को लेकर दायर तीन जनहित याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई हो रही थी। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच मामले में सुनवाई कर रही है।

ICFRI की रिपोर्ट पेश करने का निर्देश

याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (ICFRI) की अध्ययन रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था। ICFRI ने दो भागों की इस रिपोर्ट में हसदेव अरण्य की वन पारिस्थितिकी और खनन का उस पर प्रभाव का अध्ययन किया है। केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने यह रिपोर्ट पेश करने के लिए कुछ और समय देने की मांग की है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की तारीख बढ़ाई

याचिकाकर्ताओं में से सुदीप श्रीवास्तव की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण और अधिवक्ता नेहा राठी ने कहा कि सुनवाई आगे बढ़ाने से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन तब तक केंद्र और राजस्थान की ओर से पेड़ों की कटाई नहीं होनी चाहिए। उसके बाद उनकी ओर से अगली सुनवाई तक पेड़ नहीं काटने का वादा किया गया। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की तारीख आगे बढ़ाने का निवेदन स्वीकार कर लिया।

सुदीप श्रीवास्तव की याचिका में आबंटन को चुनौती
केंद्रीय वन मंत्रालय की ओर से साल 2011 में हसदेव अरण्य क्षेत्र में परसा ईस्ट केते बासन कोल ब्लॉक (PKEB) के पहले चरण की अनुमति दी गई थी। वहीं केंद्र सरकार की ही वन सलाहकार समिति ने जैव विविधता पर खतरा बताते हुए आवंटन को निरस्त करने की सिफारिश की थी। इसके बाद क्षेत्र को नो-गो घोषित कर दिया गया था। इसके बाद भी 2012 में अंतिम चरण का क्लीयरेंस जारी करते हुए कोयला खनन की अनुमति दे दी गई।
NGT की सलाह के बावजूद एक्सटेंशन की अनुमति दी
इसके बाद साल 2013 में इस ब्लॉक में खनन भी शुरू हो गया। इसके खिलाफ छत्तीसगढ़ के अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) में शिकायत की। NGT ने भारतीय वन्य जीव संस्थान से अध्ययन कराने का सलाह दी थी। इसके बाद भी ईस्ट केते बासन कोल ब्लॉक को एक्सटेंशन की भी अनुमति दे दी। सुदीप श्रीवास्तव ने कोल ब्लाक के लिए वन भूमि आवंटन को चुनौती दी है।

एक दिन में काट दिए गए थे आठ हजार पेड़
PKEB खदान के दूसरे चरण का काम शुरू करने 27 सितंबर को सरगुजा जिला प्रशासन ने एक हजार से अधिक पुलिस फोर्स लगाकर एक दिन में ही आठ हजार पेड़ों को कटवा दिया था। PKEB खदान को आबंटित 2711 हेक्टेयर भूमि में 1898 हेक्टेयर भूमि वनभूमि है, जहां सैकड़ों सालों में तैयार जंगल में लाखों की संख्या में पेड़ काटे जाने हैं। इस वर्ष 11 हजार 808 पेड़ों को काटा जाना है। इसमें से आठ हजार पेड़ काट दिए गए हैं। पेड़ों की कटाई के विरोध में लोग आंदोलन कर रहे हैं।au