नई दिल्ली: मिशन 2024 को पूरा करने के लिए बीजेपी अलग-अलग चुनावी रानानीति बनाने में जुटी है । अभी से ही बीजेपी ने अपने नेताओं और कार्यकर्ताओ को मैदान में उतार भी दिया है। बीजेपी की रणनीति पर गौर करें, तो एक रणनीति साफ दिखाई देती है कि विपक्ष को कोई मौका न मिले, विपक्ष चुनौती बने, उसके पहले उसी के लिए चुनौती खड़ी कर दो।
बीजेपी ने 2024 के लिए सरकार, संगठन और पार्टी को लेकर व्यापक रणनीति बनाई है और उसको अमल करना भी शुरू कर दिया है। पार्टी ने अलग अलग प्रदेशों, क्षेत्रों और इलाके के हिसाब से तो रणनीति बना ही रही है साथ ही पार्टी का अभियान मजबूत हो, संस्थान का विस्तार हो ,कार्यकर्ताओं में नाराजगी न हो, वरिष्ठ कार्यकर्ता असंतुष्ट न हो , देश का कोई भी क्षेत्र, इलाका, जाति छूटे नही, इसके लिए बीजेपी के रणनीतिकारों ने 12 सूत्री योजना तैयार की है।
पार्टी अपने 12 सूत्री योजना के जरिए प्रचार अभियान को ज़मीन तक उतारना तो चाहती ही है। इसके जरिए संगठन को ताकतवर बना कर सभी जातियों और धर्मो के लोगों तक पैठ भी बना लेना चाहती है।
पार्टी सूत्रों की माने तो हर सूत्र में कई योजना है उसे धरातल तक उतारने के लिए संगठन की तैयारी भी पूरी है।
क्या- क्या शामिल है 12 सूत्री एजेंडा में?
1- नई चुनौती नई ताकत-अपने इस सूत्र के जरिए पार्टी संगठन में बदलाव करेगी। अनुभवी और युवा चेहरे को आगे लाएगी।
2- योग्यता भी निष्ठा भी- इसके जरिए पार्टी पुराने योग्य कार्यकर्ताओं को ज़िमेदारी देगी,जो किसी कारण से अभी दिखाई नही देते या पार्टी में हाशिए पर है। इतना ही नही पार्टी अपने निष्ठावान कार्यकर्ता को भी नही छोड़ेगी।
3- विकास भी विरासत भी सूत्र के जरिए पार्टी के विकासवादी एजेंडे के साथ- साथ मंदिरों के विस्तार और सनातन संस्कृति को मजबूत करने की प्रतिज्ञा दोहराएगी, राम मंदिर निर्माण,काशी विश्वनाथ,विध्यवासिनी कॉरिडोर,महाकाल मंदिर कॉरिडोर, महत्वपूर्ण धामो में हुए विस्तार का भी हवाला देगी।
4-संगठन और सामाजिक समन्वय- इस सूत्र के जरिए संगठन में भी जातीय और क्षेत्रीय संतुलन को दुरुस्त करेगी ताकि अब तक लगने वाले ब्राह्मण, बनिया और शहरी क्षेत्र की पार्टी होने का आरोप न लगे।
5-टेक्नोलॉजी भी और निष्ठावान टीम भी- प्रचार अभियान में आधुनिक तकनीकी का उयोग हो लेकिन निष्ठावान टीम भी उसके लिए हो। कमान कार्यकर्ता के हाथों में ही हो गौरतलब है कि अभी तक पार्टी बाहर से प्रोफेशनल लोगो को इस काम के लिए लेती रही है।
6- सरकार की उपलब्धि और तुलना भी-इसके तहत पार्टी के कार्यकर्ता सिर्फ मोदी सरकार और प्रदेशो के बीजेपी सरकारों के काम काज का ही प्रचार नही करेगी, बल्कि पहले की सरकारों से तुलना करते हुए उनकी गलतियों को भी लोगों के सामने रखेगी।
7- सामाजिक विस्तार सोशल इंजीनियरिंग का ध्यान- पार्टी का सभी जातियों में जनाधार बढ़े और वो आगे भी रहे इसके लिए सोशल इंजीनियरिंग का सहारा लेगी और खास जाति में उसी जाती के अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं की टीम को ज़िमेदारी सौपेगी। हर लोकसभा क्षेत्र में 10 हज़ार दलित परिवार को जोड़ना पहला लक्ष्य रखा है।
8- भेदभाव नही संतुलन- इसके तहत टिकट का बंटवारा हो या फिर प्रचार अभियान में नेताओं और कार्यकर्ताओं को दी जाने वाली जिम्मेदारी, क्षेत्र, भाषा, जाति ,और धर्म धर्म में भेद नही करने की रणनीति है। इसी के जरिए पार्टी पसमांदा मुसलमानों तक पैठ बढ़ाने की अलग योजना तैयार की है।
9- शोर नही सहज संपर्क- चुनाव के दौरान बड़ी रैली जनसभाओं से अलग पार्टी ने यात्रा पर चर्चा की योजना तैयार की है। ट्रैन,बस, पार्क, मॉल , नुक्कड़, सभी जगह छोटे बड़े सभी नेताओ को ड्यूटी पर लगया जाएगा।
10- संपर्क अभियान सांसद कार्यकर्ता सब समान- चुनाव प्रचार अभियान के दौरान जन संपर्क अब सिर्फ स्थानीय छोटे कार्यकर्ताओं की की ही जिम्मेदारी नही रहेगी,सभी को मैदान में उतारा जाएगा।
11- जन-जन संपर्क नहीं, जन -जन से संबंध- जन संपर्क अभियान के लिए बड़ी योजना तैयार की गई है इसमें संघ का सहयोग भी मिलेगा पार्टी की योजना है कि सिर्फ वोट की मांग नही करना है उन्हें पार्टी से जोड़ना भी है। संपर्क के बजाए हमेशा के लिए संबंध बन सके। इसमें सबसे अधिक कार्यकर्ता लगाए जाएंगे।
12- कमजोर क्षेत्र, मजबूत टीम- 2019 में जिन लोकसभा क्षेत्रों में पार्टी कमजोर रही है, सीट नही निकल सकी, उसके लिए खास टीम तैयार की जाएगी। पार्टी सूत्रों का कहना है कि सबसे पहले पार्टी ने इस पर काम मार्च 2020 में शुरू कर दिया था, ताकि वर्तमान सीटों में नुकसान होता है तो उसकी भारपाई हो सके।