आज यानी गुरुवार दोपहर को अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी से मुलाकात की। गहलोत जब सोनिया गांधी से मिलने जा रहे थे तो उनके हाथ में कुछ कागज भी थे। जिसमें से एक को माफीनामा बताया जा रहा है। इस पर लिखा हुआ था कि जो कुछ हुआ उसका दुख है, इससे मैं बहुत आहत हूं।
नई दिल्ली – राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के अध्यक्ष नहीं बन पाएंगे। उनका सीएम पद भी खतरे में है। गहलोत गुट के विधायकों का शक्ति प्रदर्शन और इस्तीफा पॉलिटिक्स से सीएम अशोक गहलोत के सियासी समीकरण बिगड़ गए हैं। अब यह तो साफ हो गया है कि गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे। वहीं, वह सीएम रहेंगे या नहीं इस पर भी हाईकमान फैसला कर सकता है।
आज यानी गुरुवार दोपहर को अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी से मुलाकात की। गहलोत जब सोनिया गांधी से मिलने जा रहे थे तो उनके हाथ में कुछ कागज भी थे। जिसमें से एक को माफीनामा बताया जा रहा है। इस पर लिखा हुआ था कि जो कुछ हुआ उसका दुख है, इससे मैं बहुत आहत हूं। सोनिया गांधी से करीब डेढ़ घंटे की मुलाकात के बाद सीएम ने मीडिया से बात की। उन्होंने कहा- कि वे कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे। मैंने कांग्रेस में हमेशा वफादार सिपाही के रूप में काम किया है। विधायक दल की बैठक से पहले जो हुआ उससे मैं आहत हूं।
गहलोत की पांच बड़ी गलतियां
20 सितंबर की रात हुई बैठक
21 सितंबर को गहलोत राहुल और सोनिया गांधी से मिलने के लिए जाने वाले थे। इससे पहले 20 सितंबर की रात जयपुर में विधायक दल की बैठक हुई। जिसमें गहलोत ने कहा, राहुल गांधी से मिलकर उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष बनने के लिए आखरी बार मनाने की कोशिश करूंगा, नहीं माने तो जैसा आलाकमान कहेगा वही करूंगा, जरूरत पड़ने पर आपको (विधायकों को) तकलीफ दूंगा। इस पर विधायकों ने कहा, आपको यहीं रहना है तो गहलोत ने भी कहा, मैं अंतिम सांस तक राजस्थान की सेवा करूंगा, कुछ भी बन जाऊं, लेकिन आपसे दूर नहीं जाऊंगा। यानी साफ संकेत थे कि गहलोत राजस्थान छोड़ने को तैयार हैं।
इस बैठक में आलाकमान के सामने रखने के लिए चार मांगें पर सहमति बनाई गई। पहली- राहुल गांधी ही कांग्रेस अध्यक्ष बने, दूसरी- गहलोत अध्यक्ष बनते हैं तो सीएम भी रहेंगे, तीसरी- कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव बाद गहलोत इस्तीफा देंगे, नया सीएम गहलोत के विधायकों में से बनेगा। इस बैठक में तय की गईं मांगों से संकेत गया कि गहलोत गुट के विधायक आलाकमान से सीधे टकराना चाहते हैं। इसके बाद भी गहलोत ने इस टकराव को रोकने की कोशिश नहीं की।

