रायपुर – केंद्र सरकार ने IPS मुकेश गुप्ता को बड़ी राहत दी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नान घोटाला केस में फर्जीवाड़े और फोन टैपिंग के आरोपी IPS मुकेश गुप्ता का निलंबन खत्म कर दिया है। उनका निलंबन रद्द हो गया है। मुकेश गुप्ता पर नान घोेटोले में सूबत के साथ छेड़छाड़ का आरोप था। बता दें कि मुकेश गुप्ता मार्च 2019 से निलंबित चल रहे थे। वे इस महीने रिटायरमेंट हो रहे हैं।
साथ ही केंद्र के इस फैसले से राज्य सरकार को बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है। 16 सितंबर को केंद्रीय गृह मंत्रालय के अपर सचिव संजीव कुमार ने निलंबित IPS मुकेश गुप्ता को बड़ी राहत देने वाला आदेश जारी किया। मुकेश गुप्ता इसी महीने 30 सितंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। रिटायरमेंट से 14 दिन पहले निलंबन समाप्ति के आदेश से पुलिस महकमे की बेचैनी बढ़ा दी है। गुप्ता अब पीएचक्यू में जाएंगे या फिर कोई दूसरा रास्ता तलाशेंगे इसे लेकर प्रशासनिक और राजनीतिक चर्चाओं का दौर तेज हो गया है।
बता दें कि नान घोटाले का खुलासा होने और इसमें आईपीएस मुकेश गुप्ता की कथित संलिप्तता सामने आने के बाद प्रदेश सरकार ने 9 फरवरी 2019 में उन्हें निलंबित किया था। उसके बाद उन पर एक के बाद एक करके 3 एफआईआर किए गए हैं। मुकेश गुप्ता 1988 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस हैं। वे डीजीपी पद पर पदोन्नत हो चुके थे। राज्य सरकार ने उन्हें डीजीपी से वापस रिवर्ट कर दिया था। फिलहाल अभी वे एडीजी रैंक के अफसर हैं। मुकेश गुप्ता को कैट से राहत मिलने पर राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई है, जिस पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने माना की मुकेश गुप्ता को निलंबित रखा जाना उचित नहीं है।
घटना एक नजर में
6 फरवरी- एसीबी में डीएसपी दुबे का बयान: नान की एफआईआर में आरोपी के कॉलम में दर्ज कूट रचना मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह ने धमकी देकर कराई।
7 फरवरी- डीएसपी दुबे ने लीना चंद्राकर की कोर्ट में डाला शपथपत्र, एसीबी ने तत्कालीन एडीजी मुकेश गुप्ता और एसपी रजनेश सिंह पर केस दर्ज किया।
8 फरवरी- डीएसपी दुबे हाईकोर्ट गए, लेकिन हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद उन्हें सुरक्षा देने से मना किया।
9 फरवरी- डीजीपी मुकेश गुप्ता और नारायणपुर के एसपी रजनेश सिंह को राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।