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70 साल का इंतजार खत्म : प्रधानमंत्री मोदी ने चीतों को पिंजरों से रिहाकर कैमरे में किया कैद

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ग्वालियर – भारत का 70 साल का इंतजार आज खत्म हुआ। नामीबिया से आए 8 चीतों ने भारत की सरजमीं पर पहला कदम रखा। कूनो नेशनल पार्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बॉक्स खोलकर तीन चीतों को क्वारंटीन बाड़े में छोड़ा। यहां प्रधानमंत्री के लिए 10 फीट ऊंचा प्लेटफॉर्मनुमा मंच बनाया गया था। इसी मंच के नीचे पिंजरे में चीते थे। PM ने लीवर के जरिए बॉक्स को खोला। चीते बाहर आते ही अनजान जंगल में थोड़ा सा सहमे भी। इधर-उधर नजरें घुमाईं और चहलकदमी करने लगे। लंबे सफर की थकान साफ दिख रही थी।

चीतों के बाहर आते ही PM मोदी ने ताली बजाकर उन चीतों का स्वागत किया। मोदी ने कुछ फोटो भी क्लिक किए। 500 मीटर चलकर मोदी मंच पर पहुंचे थे। उनके साथ राज्यपाल मंगूभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी थे। उन्होंने चीता मित्र दल के सदस्यों से भी बात की। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन भी है।Image 

मोदी के भाषण की प्रमुख बातें…

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रिकॉर्डेड भाषण में नामीबिया का आभार माना। उन्होंने चीता मित्रों से कहा- हमने उस समय को भी देखा, जब प्रकृति के दोहन को शक्ति प्रदर्शन का प्रतीक मान लिया गया था। 1947 में जब देश में केवल तीन चीते बचे थे, तो उनका भी शिकार कर लिया गया।
  • ये दुर्भाग्य रहा कि 1952 में हमने चीतों को विलुप्त तो घोषित कर दिया, लेकिन उनके पुनर्वास के लिए दशकों तक सार्थक प्रयास नहीं किए। आज आजादी के अमृत काल में अब देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है।
  • एक ऐसा काम राजनैतिक दृष्टि से जिसे कोई महत्व नहीं देता, इसके पीछे हमने वर्षों ऊर्जा लगाई। चीता एक्शन प्लान बनाया। हमारे वैज्ञानिकों ने नामीबिया के एक्सपर्ट के साथ काम किया। पूरे देश में वैज्ञानिक सर्वे के बाद नेशनल कूनो पार्क को शुभ शुरुआत के लिए चुना गया। ​​​​
  • कूनो नेशनल पार्क में चीता फिर से दौड़ेंगे। आने वाले दिनों में यहां ईको टूरिज्म बढ़ेगा। रोजगार के नए अवसर बढ़ेंगे। आज देश के सभी देशवासियों से आग्रह करना चाहता हूं कि कूनो में चीतों को देखने के लिए कुछ महीने धैर्य रखना होगा। नए घर में आए हैं।
  • आज ये चीते मेहमान बनकर आए, इस क्षेत्र से अनजान हैं। कूनो को ये चीते अपना घर बना पाएं, इसीलिए हमें इन्हें कुछ महीनों का समय देना होगा। इंटरनेशनल गाइडलाइंस के अनुसार भारत इन चीतों को बसाने की पूरी कोशिश कर रहा है।
  • प्रकृति और पर्यावरण, पशु और पक्षी …भारत के लिए सस्टेनेबिलिटी और सिक्योरिटी के विषय नहीं हैं। हमारे लिए ये सेंसिबिलिटी और स्प्रिचुअलिटी का भी आधार हैं।

चीतों को खास पिंजरों में लाया गया