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नोएडा ट्विन टॉवर के ढहने से फैलेगा प्रदूषण, सांस के मरीज रखें विशेष ध्यान

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नोएडा – सेक्टर-93 ए स्थित सुपरटेक के दोनों टॉवर के जमींदोज होने का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। 28 अगस्त को 32 मंजिला ये इमारतें मलवे में बदल जाएंगी। एक अनुमान के मुताबिक इस प्रक्रिया से 60 हजार टन मलबा निकल सकता है। बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों के गिरने का नजारा अब तक आपने टीवी में देखा होगा, ज्यादातर मामलों में इनके गिरने के पीछे प्राकृतिक आपदाएं होती रही हैं, लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद रविवार को यह प्रक्रियाबद्ध तरीके से किया जाना है।

जाहिर है इस विध्वंसक प्रक्रिया में आसपास की संपत्ति या इमारतों को कोई नुकसान न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए अधिकारी सुरक्षा व्यवस्था करने में व्यस्त हैं। हालांकि इस डिमोलेशन के कारण संपत्ति के जोखिम के साथ आसपास के लोगों के स्वास्थ्य संबंधी कई चुनौतियां भी अधिकारियों के मन में बनी हुई हैं।

अन्य स्वास्थ्य विशेषज्ञों के साथ ही मैं भी यह मानता हूं कि दोनों ही ऊंची इमारत के ढहने की प्रक्रिया की देखरेख कर रहे अधिकारियों के साथ-साथ आसपास के लोगों को भी इस खतरे को गंभीरता से लेने और सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।

मेरा मानना है कि दोनों टॉवर के ध्वस्त होने के बाद छोटे कणों वाली धूल का विस्फोट आकाश में उठने की आंशका है। बड़े कण तो जल्दी ही जमीन पर आ जाएंगे लेकिन इस डिमोलेशन के कारण उत्पन्न छोटे-छोटे कणों के लंबे समय तक हवा में मौजूद रहने का खतरा है। राजधानी दिल्ली और एनसीआर पहले से ही वायु प्रदूषण की गिरफ्त में रहा है, ऐसे में इतने बड़े स्तर पर हो रहे डिमोलेशन के कारण इसका स्तर बढ़ने का खतरा है जिसके कारण आसपास रह रहे लोगों की सेहत प्रभावित हो सकती है। इस खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

आसपास के बिल्डिंगों में रहने वालों के लिए निश्चित ही यह समय कई तरह से चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसका सेहत पर कोई गंभीर नकारात्मक असर न आने पाए इसके लिए विस्फोट के समय खिड़कियों और दरवाजों को कसकर बंद कर दें और डिमोलेशन प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद भी कुछ दिनों तक अगर बहुत आवश्यकता न हो, तब तक इन्हें न खोलें।

दिल्ली-एनसीआर जैसे इलाकों में, जहां वायु गुणवत्ता हमेशा से ही खराब रहती है ऐसे में डिमोलेशन का इसपर कितना नकारात्मक असर होगा और यह लोगों की सेहत के लिए किस प्रकार से चुनौतीपूर्ण हो सकती है, इस समय यह बड़ा सवाल बना हुआ है।

दोनों टावर को डिमोलेशन से बढ़ सकता है प्रदूषण
प्रदूषण के कारण बढ़ सकती हैं स्वास्थ्य समस्याएं
अगर धूल के कण या विस्फोट के कारण उठने वाला धूल का अंबार घर में प्रवेश करता है तो इसके कारण घर के अंदर ही प्रदूषण का जोखिम रहता है, जिससे कई प्रकार की गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

इनडोर प्रदूषण केकारण सांस की समस्याओं का खतरा
इनडोर प्रदूषण के जोखिमों से बचाव जरूरी

अगर इस बीच में बारिश हो जाती है तो संभवत: जोखिमों को कुछ हद तक कम किया जा सकता है, क्योंकि बारिश के साथ धूल के छोटे कण भी जमीन पर बैठ जाते हैं। डिमोलेशन के बाद सभी लोगों को घरों के अंदर के प्रदूषण को कम करने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। अगर आपके पास एयर प्यूरीफायर है, तो इसका प्रयोग करें। सांस के मरीजों जैसे अस्थमा या फेफड़ों की अन्य समस्या वालों को इस दौरान अपनी सेहत को लेकर विशेष सावधानी बरतते रहने पर ध्यान देना होगा।

कुछ जरूरी बातों को आपको विशेष रूप से समझने की जरूरत है –

इमारतों के ढहने की प्रक्रिया के बाद घरों के भीतर, फर्श, फर्नीचर, पर्दे, कालीन आदि पर धूल के कण जम सकते हैं, सुनिश्चित करें इन सतहों की अच्छे से साफ-सफाई की जाए। कपड़े या डस्टर से डस्टिंग करने की बजाय गीले पोछे या वैक्यूम क्लीनिंग को प्रयोग में लाएं। इसका कारण यह है कि सफाई के दौरान धूल के कणों के वापस हवा में पहुंचने का खतरा रहता है, जिसके कारण इनडोर प्रदूषण बढ़ सकता है। डिमोलेशन प्रक्रिया के बाद इन बातों पर गंभीरता से ध्यान दिया जाना चाहिए।

पहले से ही बीमार लोग रहें अलर्ट

बिल्डिंग डिमोलेशन के दौरान उठने वाले धूल के अंबार का उन लोगों की सेहत पर भी असर हो सकता है, जो पहले से ही कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं के शिकार हैं। इसमें अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), फेफड़ों से संबंधित अन्य रोगों या जो लोग पहले से ही इनहेलर्स पर हैं उनको खास सावधानी बरतने की आवश्यकता होगी।

जाहिर है ऐसे लोगों को प्रदूषण के किसी भी प्रकार से संपर्क में आने से बचने के साथ आसपास की स्वच्छता को लेकर भी अलर्ट रहने की जरूरत होगी। हाइड्रेशन का ध्यान रखकर आप खुद को किसी गंभीर जोखिम से सुरक्षित रख सकते हैं।

यदि प्रदूषण का स्तर अधिक है तो इन लक्षणों पर सतर्क रहें-
  • गले में खराश, आंखों, नाक और त्वचा में खुजली का अनुभव हो सकता है।
  • वरिष्ठ नागरिकों को सुस्ती और बुखार की भी समस्या हो सकती है।
  • शरीर में दर्द और बुखार के लिए आप पैरासिटामोल ले सकते हैं।
  • गले में खराश है, नाक बह रही है, छींक आ रही है तो एंटी-एलर्जिक दवाओं का सेवन किया जा सकता है।
  • जो लोग पहले से इन्हेलर पर हैं, उन्हें इन्हेलर की आवृत्ति बढ़ाने की भी आवश्यकता हो सकती है।
  • यदि लक्षण प्रकट होने के कुछ घंटों में ठीक नहीं होते हैं, तो अपने चिकित्सक से जरूर संपर्क करें।
  • थोड़ी सी सावधानी बरतकर आप स्वस्थ रह सकते हैं, घबराएं नहीं बस सावधानी और सतर्कता से काम लें।au