Home छत्तीसगढ़ राजधानी रायपुर का मशहूर ‘पुजारी परिवार’ 420 का मास्टर माइंड’ निकला

राजधानी रायपुर का मशहूर ‘पुजारी परिवार’ 420 का मास्टर माइंड’ निकला

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रायपुर – दो दिनों पहले ही राजधानी रायपुर के मशहूर पुजारी परिवार के तीन सदस्यों के खिलाफ मॉलश्री विहार की बेशकीमती 52 हजार स्क्वेयर फीट की जमीन फर्जीवाड़े के मामले में एफआईआर दर्ज हुई है. इस मामले में पुलिस ने राजेश पुजारी, कु. लक्ष्मी पुजारी और श्रीमती विजय लक्ष्मी शर्मा को आरोपी बनाया है.

ऐसे किया पूरा फर्जीवाड़ा

  • 17 मार्च 2003 को मुकेश प्रकाश पुजारी (सदर बाजार वाले) ने 362/5, कुल रकबा 0.486 हेक्टेयर यानी करीब 52 हजार स्क्वेयर फीट मॉलश्री विहार वीआईपी रोड की जमीन प्रार्थी सीमा अग्रवाल को बेची.
  • ये जमीन 1989-90 के सीमांनक-बटांकन के आधार पर रजिस्ट्री हुई. प्रार्थी के मुताबिक उक्त जमीन पुजारी परिवार के सदर बाजार वाले भाई के हिस्से की थी. उक्त परिवार की कुल करीब 25 एकड़ जमीन वहां बताई जा रही है. जिसके कुल तीन हिस्से हुए.
  • इसमें से मुकेश प्रकाश पुजारी से प्रार्थी सीमा अग्रवाल के परिवार ने ये जमीन खरीदी.
  • 2006 में अमर गंगा बिल्डर्स एंड प्रापर्टीज प्राइवेट लिमिटेड. जिसके डायरेक्टर है लक्ष्मी पुजारी और राजेश पुजारी. इन्होंने सन् 2006 में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से फर्जी ले आऊट पास करवाया.
  • इसमें एक रिटायर्ड आरआई की भी मदद ली गई. मजेदार बात ये है कि रिटायर्ड आरआई आर बी बव्हार 2001 में रिटायर्ड हो चुके थे. लेकिन जो नक्शा टाउन एंड कंट्री प्लानिंग में दिया गया वह 2005 का बना हुआ था. जिसमें बकायदा आरआई ने टीप भी लिखी है. यही कारण है कि पुलिस ने उक्त एफआईआर में 466,467,468 और 474 भी जोड़ी. हालांकि इस मामले में रिटायर्ड आरआई को आरोपी नहीं बनाया गया है. क्योंकि पुलिस को जो उन्होंने बयान दिया उसमें उन्होंने मौके की घास जमीन जानने के लिए उसे बनाना बताया. हालांकि आरोपियों ने उक्त दस्तावेज उन्हें धोखे में रखकर जमा की.
  • खसरा नंबर 362/3 की कुछ भूमि को इस ले आऊट में शामिल कर लिया गया और ले आऊट भी पास करवा लिया.
  • इसके बाद 2009 में टाऊन एंड कंट्री प्लानिंग से ले आऊट पास करवाया. जिसमें 1990 की सीमांकन रिपोर्ट को लगाकर उसी आधार पर ले आऊट पास करवाया. जबकि उसका कुछ हिस्सा उनके परिवार के एक भाई ने प्रार्थी को बेच चुका था.
  • प्रार्थी ने पुलिस को जो दस्तावेज दिए है उसके मुताबिक आरोपियों ने पहले अपने परिवार के ही जमीन को कागजों में अपना बताया. इसके बाद भी जब उनका मन नहीं भरा तो वे प्रार्थी सीमा अग्रवाल की जमीन को भी कागजों में अपनी बनाने की योजना बनाई और 362/5 को अपना बताया जो कि 362/1 का हिस्सा है.
  • इसके बाद ले आऊट के आधार पर एक प्लाट 2010 में करीब 4000 फीट का ले आऊट के आधार पर ही बेच दिया. जो प्रार्थी की जमीन पटवारी रिकार्ड में आज भी है.
  • इससे हुआ ये कि प्रार्थी सीमा अग्रवाल की जमीन पर जो जाने का रास्ता था वह उक्त आरोपी ने अन्य किसी को बेच दिया, जिससे प्लाट तक पहुंचने वाली जमीन पर कोई और दावा करने लगा.
  • इसके बाद प्रार्थी सीमा अग्रवाल ने तहसील ऑफिस में सीमांकन के लिए आवेदन लगाया. हैरानी की बात ये है कि ये आवेदन 2010-11 में लगाया गया. जिसे तत्कालीन तहसीलदार ने आरोपियों की आपत्तियों के आधार पर खारिज कर दिया और तब से लेकर आज तक उक्त जमीन का सीमांकन नहीं हुआ.
  • इसके बाद आरोपियों ने 2012-13 में कलेक्टर के पास नक्सा दुरूस्ती का एक आवेदन लगाया. इसके पीछे की वजह ये थी कि जो फर्जीवाड़े उन्होंने टाऊन एंड कंट्री प्लानिंग के ले आऊट में की थी, उसमें कलेक्टर की भी मुहर लग जाए. जो लग भी गई. इससे ज्यादा हैरानी की बात ये है कि इस नक्सा दुरूस्ती में तत्कालीन अपर कलेक्टर ने टीप में ये लिखा है कि इसमें हाउसिंग बोर्ड को अलॉट जमीन इस केस के आरोपी के भाई अशोक पुजारी का कब्जा है. ये नक्सा 29 जुलाई 2014 को दुरूस्त हुआ. जिसमें अपर कलेक्टर, आरआई और पटवारी के भी हस्ताक्षर मौजूद है.
वो दस्तावेज जिसमें लिखा है छग गृह निर्माण मंडल को अलॉट जगह पर पुजारी परिवार का कब्जा बताया गया है
  • नक्सा दुरूस्ती के वक्त वहां करीब एक दर्जन से अधिक खातेदार थे. लेकिन अधिकारियों ने किसी को भी नोटिस जारी करना जरूरी नहीं समझा और खुद ही मठाधीश बनकर नक्शा दुरूस्त करने मौके पर भी पहुंचे, लेकिन अधिकारियों और आरोपी पक्ष के परिवार को छोड़कर वहां कोई भी मौजूद नहीं था जो पुलिस के पास मौजूद दस्तावेजों में ये रिकार्ड उपलब्ध है.
  • अब इस मामले में पुलिस ने विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कर ली है. जिसकी जांच अभी की जा रही है, जिसमें और कई खुलासे होने की उम्मीद है.