Home छत्तीसगढ़ किताबें खोलकर परीक्षा में लिखने दी फिर भी बीएससी में 775 फेल….

किताबें खोलकर परीक्षा में लिखने दी फिर भी बीएससी में 775 फेल….

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रायपुर – बीएससी फर्स्ट ईयर की परीक्षा ऑनलाइन या ब्लैंडेड मोड में हुई। छात्रों ने घर से परीक्षा दी, किताबें व गाइड खोलकर सवालों के जवाब लिखे। फिर भी 775 छात्र फेल हो गए। परीक्षा ऑफलाइन मोड में नहीं हुई थी, इसलिए छात्र दोबारा मूल्यांकन के लिए भी आवेदन नहीं कर पाएंगे। बीएससी सेकंड ईयर में भी 244 छात्र फेल हुए हैं। गुरुवार को पं.रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय ने बीएससी फर्स्ट, सेकेंड व एमए इंग्लिश फाइनल के नतीजे जारी किए। पिछली बार की तरह रविवि की वार्षिक परीक्षा इस बार भी ऑनलाइन मोड में ली गई थी।

इस बार की परीक्षा में बदलाव यही था कि जिस दिन परीक्षा हो रही थी उसी दिन जवाब लिखकर छात्रों को संबंधित कॉलेजों में आंसरशीट जमा करना था। पिछली बार पूरी परीक्षा खत्म होने के पांच दिन के भीतर आंसरशीट जमा करना था। इस बार छात्रों को छह से आठ घंटे का समय दिया गया था, फिर भी कई छात्रों को इसका फायदा नहीं मिला। बीएससी फर्स्ट ईयर के लिए 13614 छात्रों ने परीक्षा दी। इसमें से 12413 छात्र पास हुए। जबकि 775 का रिजल्ट फेल रहा। 426 को पूरक की पात्रता मिली। 266 के नतीजे रोके गए।

रिजल्ट 91.18 प्रतिशत रहा। इसी तरह बीएससी सेकेंड ईयर की परीक्षा में 9722 छात्र शामिल हुए। इसमें से 9225 छात्र पास हुए। 244 फेल हुए। 252 को पूरक की पात्रता मिली। 1 छात्र का रिजल्ट रोका गया। 88 अनुपस्थित रहे। इस तरह से सेकेंड ईयर का रिजल्ट 94.89 प्रतिशत रहा। एमए इंग्लिश फाइनल ईयर में 99.78 प्रतिशत छात्र पास हुए। इसकी परीक्षा में 2284 छात्र शामिल हुए। 2279 पास हुए। 2 फेल हुए और 3 छात्र के नतीजे राेके गए। जबकि 44 अनुपस्थित रहे।

ज्यादा छात्र फेल क्यों? समीक्षा जरूरी
बीएससी फर्स्ट ईयर की परीक्षा में 9 फीसदी छात्र फेल हुए हैं। घर से, किताबें खोलकर परीक्षा देने के बाद भी बड़ी संख्या में छात्रों के फेल होने से सवाल उठ रहे हैं। परीक्षा ऑनलाइन मोड में हुई इसलिए पुनर्मूल्यांकन व पुनर्गणना की पात्रता किसी को नहीं मिलेगी। इसके अलावा सूचना का अधिकार के तहत भी आंसरशीट की फोटोकॉपी नहीं ली जा सकती है। इसलिए यह कहना कठिन है कि घर से पेपर लिखने के बाद भी इतनी संख्या में छात्र क्यों फेल हो गए? शिक्षाविदों का कहना है कि इसके नतीजों की समीक्षा की जानी चाहिए। ताकि वास्तविक स्थिति का पता चल सके।